पाकिस्तान तालिबानी सेना और टीटीपी आतंकियों के हमलों से पहले ही जूझ रहा है, और अब उसके लिए एक और बुरी खबर आई है. तजाकिस्तान ने ईरान के साथ भारत की तरफ बनाए गए चाबहार पोर्ट के इस्तेमाल को लेकर बातचीत शुरू कर दी है. अगर यह डील सफल होती है, तो यह भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत होगी, जबकि पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका साबित हो सकता है.
अगर तजाकिस्तान और ईरान के बीच यह समझौता होता है, तो इससे भारत को तीन महत्वपूर्ण फायदे होंगे
मध्य एशिया तक पहुंच आसान: चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल करके भारत तजाकिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों तक अपनी पहुंच बढ़ा सकता है, जिससे व्यापार और वाणिज्य में तेजी आएगी.
आर्थिक लाभ: चाबहार पोर्ट से होने वाली आवाजाही से भारत को अच्छा आर्थिक लाभ होगा, क्योंकि इस बंदरगाह के निर्माण में भारत ने करोड़ों डॉलर का निवेश किया है.
क्षेत्रीय कूटनीति में मजबूती: इस समझौते से भारत की मध्य एशिया में स्थिति और मजबूत होगी, जो पाकिस्तान के लिए एक बड़ा कूटनीतिक झटका साबित हो सकता है.
चाबहार पोर्ट के जरिए तजाकिस्तान की योजना
तजाकिस्तान और ईरान ने हाल ही में एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत चाबहार पोर्ट के माध्यम से सामानों की आवाजाही की जाएगी. तजाकिस्तान का उद्देश्य है कि वह खाड़ी देशों और हिंद महासागर क्षेत्र के साथ व्यापार को बढ़ावा दे, और इसके लिए चाबहार पोर्ट एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इससे पहले, तजाकिस्तान ने ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट के इस्तेमाल का भी ऐलान किया था, लेकिन अब चाबहार पोर्ट का उपयोग तजाकिस्तान की प्राथमिकता बन सकता है, क्योंकि यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से अधिक महत्वपूर्ण है.
पाकिस्तान को बड़ा झटका
इस डील से पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका होगा, जो हाल ही में तजाकिस्तान को तालिबान के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहा था. पाकिस्तान की आईएसआई के प्रमुख ने तजाकिस्तान का दौरा किया था और तालिबान विरोधी नादर्न अलायंस के नेताओं से मुलाकात की थी. पाकिस्तान की कोशिश थी कि तजाकिस्तान तालिबान के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा अलायंस बनाए, लेकिन तजाकिस्तान ने इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाया.
तजाकिस्तान और तालिबान के बीच सुधरते रिश्ते
हालांकि तजाकिस्तान और तालिबान के बीच अभी तक संबंध मधुर नहीं रहे हैं, लेकिन दोनों के बीच रिश्ते धीरे-धीरे सुधर रहे हैं. तजाकिस्तान अफगानिस्तान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में ताजिक मूल के लोग रहते हैं. हालांकि, तजाकिस्तान ने साफ किया है कि वह पाकिस्तान के इशारे पर तालिबान के खिलाफ कोई सुरक्षा अलायंस नहीं बनाएगा.
भारत-तजाकिस्तान की पुरानी दोस्ती
भारत और तजाकिस्तान के बीच दशकों पुरानी दोस्ती है, और यह डील इस दोस्ती को और मजबूत करेगी. चाबहार पोर्ट के माध्यम से व्यापारिक सहयोग से भारत और तजाकिस्तान के संबंधों को नई दिशा मिलेगी. साथ ही, तजाकिस्तान का तालिबान से धीरे-धीरे बेहतर होते संबंध भी इस क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद करेंगे.
चाबहार पोर्ट डील
चाबहार पोर्ट डील तजाकिस्तान और ईरान के बीच अगर सफल होती है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और आर्थिक जीत होगी. वहीं, पाकिस्तान की रणनीतिक योजनाओं को इससे गहरा धक्का लगेगा, खासकर तजाकिस्तान और तालिबान के बीच सुधरते रिश्तों को देखते हुए.