ODF डबल प्लस: कलयुगी अंधकार में छिप गए ‘राम’, अट्टहास कर रहा रावण

## Lucknow UP

(किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की जानकारी अगर आपके पास है तो 7007096037 पर संपर्क करें। आपका नाम और पता गोपनीय रखा जाएगा)

Suyash Mishra

लखनऊ। कलयुगी अंधकार में ‘राम’ छिप से गए हैं। हनुमान बंदी हैं। रावण, कुम्भकरण, मेघनाथ इत्यादि अट्टहास कर रहे हैं। अब विजय दशमी को बहुत कम वक्त शेष है। बाजारों में रावण और उसके सहयोगियों के कागजी पुतले लगभग बन गए हैं। बस उन्हें रामलीला मैदान तक ले जाकर पटाखा, ​चकरी, अनार आदि से सुसज्जित कर आग लगाना शेष है। मंगलवार रात तक यह कार्यक्रम भी लगभग सम्पन्न हो जाएगा। बचपन से ही दीवारों और किताबों पर लिखा देखते रहे होंगे। ‘परिवर्तन प्रकृति का शाश्वत नियम है’ अब वह परिवर्तन साक्षात नजर आ रहा है। बुराई पर अच्छाई की जीत का इतिहास अब ‘इतिहास’ बनता दिख रहा है और हम इसे राम राज्य समझकर खुश हैं।

हम बात कर रहे हैं लखनऊ नगर निगम की, जहां घोटालों की किताब लिखी जा सकती है। देश की सबसे बड़ी पंचायत के प्रधान की सबसे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत मिशन’ को 5 साल पूरे हो गए हैं। साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गांधी जयंती के मौके पर कहा था कि हम देश को स्वच्छ और स्वस्थ्य बनाएंगे। इसी के बाद स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की गई और शहरों से लेकर गावों तक शौचालयों का निर्माण कराया जाने लगा। फिर सिलसिला शुरू हुआ शहरों और गावों को खुले में शौच से मुक्त बनाने का। अब इस पावन कार्य में उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित लखनऊ नगर निगम पीछे कैसे रहता। अधिकारियों ने कमर कस ली और चल पड़े लखनऊ को खुले में शौच से मुक्त कराने।

मामला प्रधानमंत्री जी की महत्वाकांक्षी योजना से जुड़ा था तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी दबाव बढ़ना स्वाभाविक था। परिणाम की मांग हुई तो अधिकारी कागजी घोड़े दौड़ाने लगे।

फरवरी 2018 तक प्रात:काल रेल की पटरियों और झाड़ियों के पीछे लोटा लेकर बैठे लोगों का अचानक व्यवहार बदला और वह शौचालय की ओर रुख किए। देखते ही देखते नगर निगम के अधिकारियों ने ऐसा चमत्कार ​कर दिया कि लखनऊ को ओ​डीएफ डबल प्लस का दर्जा दिलवाकर ही दम कसा।

कागजों में काम पक्का हो गया
अब कागजों में राजधानी लखनऊ का नगरीय क्षेत्र खुले में शौच से मुक्त हो गया है। लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा मिल गया। नियमानुसार हर 500 मीटर की दूरी पर बाजारों में सामुदायक या फिर सार्वजनिक शौचालय बना दिए गए। नगर निगम के मुताबिक लखनऊ में पिछले कुछ सालों के अंदर 308 कम्यूनिटी और 252 पब्लिक टॉयलेट बना दिए गए हैं। वहीं 15 हजार से ज्यादा पीएम मोदी की शौचालय योजना के तहत व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण करा दिया गया है। इतना ही नहीं राजधानी के सभी 110 पार्षदों से शपथपत्र भी ले लिया गया है कि उनके वार्ड में सभी शौचालयों का निर्माण हो चुका है अब उनके वहां कोई भी खुले में शौच के लिए नहीं जाता।

नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी

क्या है जमीनी हकीकत
ओडीएफ डबल प्लस का एक मानक है कि किसी भी प्रकार के शौचालय का मल खुले में नहीं बहेगा। मड़ियांव और फैजुल्लागंज के तमाम इलाकों में आज भी सीवर लाइन से घरों के शौचालयों को जोड़ा नहीं जा सका है। इतना ही नहीं पूराने लखनऊ के तमाम इलाके ऐसे हैं जहां आज तक सीवर ही नहीं पड़ी घरेलू शौचालयों का मल सीधे खुली नालियों में बह रहा है। अब सवाल यह उठता है कि इतनी घोर अनियमितता के बावजूद भी कैसे लखनऊ को डबल प्लस का दर्जा दे दिया गया। आज भी मानक के अनुसार सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय हर 500 मीटर की दूरी पर नहीं हैं। बावजूद इसके अधिकारियों ने फाइलों को दुरुस्त करके सरकार को गलत रिपोर्ट भेजकर क्वालिटी काउंसिल आॅफ इंडिया की टीम को भी गुमराह करने की कोशिश की है।

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मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि 95 प्रतिशत शहरों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है। उन्होंने कहा था कि 2014 के बाद से 9.6 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है। 5.6 लाख गांव आज देश में खुले से शौच से मुक्त हो गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के विस्तार के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति अपने आप को समर्पित करने का यह अवसर है। हमारी सरकार का 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच से देश को मुक्त करने का लक्ष्य है।

मंत्री जी और उनकी कार्यप्रणाली पर हम सवाल नहीं कर रहे, लेकिन जो आकड़ें हैं उनकी जमीनी हकीकत उन्हें शायद नहीं मालूम। उत्तर प्रदेश की राजधानी का ही उदाहरण ले लीजिए। यहां गोल गोल घुमाकर सब कुछ गोल मटोल कर दिया गया है।

पार्षदों को बनाया गया बलि का बकरा
स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है। इसलिए इसमें भ्रष्टाचार का नतीता अधिकारियों को मालूम है। इसलिए उन्होंने यहां भी खेल किया और अपनी गर्दन बचाने के लिए पार्षदों को बकरा बना दिया गया। नगर निगम में 110 वार्ड हैं लगभग पार्षदों से यह लिखवा लिया गया है कि उनके क्षेत्र में ओडीएफ डबल प्लस के सभी मानक पूरे हो चुके हैं। बकायदा इसका उनसे शपथ पत्र ले लिया गया है। अब अगर कोई कार्रवाई होती है तो गर्दन फसेगी पार्षदों की। अधिकारी पूरी तरफ सेफ।

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कुछ पार्षदों ने जताया विरोध
कश्मीरी मोहल्ले के पार्षद लईक आगा ने इसका विरोध किया था। उन्होंने बातचीत के दौरान कहा कि हमारे क्षेत्र में ज्यादातर जगहों पर आज भी खुले में मल बह रहा है, क्योंकि यहां अभी तक सीवर लाइन तक नहीं पड़ी है। फिर हम ओडीएफ डबल प्लस का शपथ पत्र क्यों देें।

जबरन लिया गया शपथपत्र
जानकीपुरम द्वितीय वार्ड के पार्षद ने बातचीत के दौरान बताया कि सत्ता पक्ष के पार्षदों ने तो खुशी खुशी इसका शपथ पत्र दे दिया लेकिन विपक्ष के पार्षदों ने जब ऐतराज किया तो अधिकारियों ने उन पर दबाव बनाया। विकास कार्य रोक दिए गए मजबूरन उन्हें और उनके जैसे तमाम लोगों को शपथपत्र देना पड़ा।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार आने के बाद राम राज्य का दावा किया जाने लगा। तमाम कोशिशे की गईं। भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाने के लिए कई टीमें बनीं। सख्त आदेश पारित किए गए, लेकिन नगर निगम के अधिकारियेां पर जूं तक नहीं रेंगी। कारण साफ है 100 रुपए के डीजल घोटाले से लेकर करोड़ों रुपए के टेंडर घोटाले तक को अंजाम देने वाली बड़ी मछलियों पर मेहरबानी। यही कारण है कि आज नित नए घोटाले प्रकाश में आ जाते हैं।

ओडीएफ डबल प्लस में सरकार तक गलत प्रपत्र भेजकर न सिर्फ भ्रष्टाचार किया गया है बल्कि गुमराह भी किया गया है। यह सीधे तौर पर 420 का मामला है। उक्त मामले में जो भी वरिष्ठ अधिकारी जिम्मेदार हैं वह सब इसमें दोषी हो सकते हैं। लेकिन आज दौर बदल गया है। अब राम राज्य में रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ का डंका बजता है। नगर निगम की पूरी जिम्मेदारी संभालने वाले इंद्रमणि त्रिपाठी भी बंधे हुए नजर आ रहे हैं। बिजनौर में सीडीओ रहते हुए उनके विकास मॉडल की तारीफें प्रधानमंत्री ने की थी लेकिन आज वह बंधे नजर आ रहे हैं। उनकी आंखों के सामने ऐसे भ्रष्टाचारों को अंजाम दिया जा रहा है।

वहीं दूसरी ओर लेखा विभाग में सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली लखनऊ की पहली महिला मेयर संयुक्ता भाटिया भी ऐसे मामलों पर चुप्पी साधे हुए हैं।

लग रहा है कि इस बार भी रामलीला में रावण मेघनाथ और कुंभकरण के सिर्फ पुतलों का ही दहन होगा।

ओडीएफ डबल प्लस के मानक
सभी शौचालयों में जल की उपलब्धता।
शौचालय और मूत्रालय की समस्त शीटें साफ हों और शौचालय पूरे समय खुले रहते हों।
शौचालय में लगा वाश बेसिन साफ हो।
सफाई और प्रबंधन हेतु रोस्टर का पालन किया जा रहा हो और केयर टेकर हर समय ड््यूटी पर तैनात हो।
शौचालय के फ्लोर की नियममित साफ सफाई तय समय पर हो।
शौचालय में दर्पण होना चाहिए।
सभी दरवाजे पर कुंडी लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
प्रत्येक शौचालय में हांथ धोने के लिए साबुन की व्यवस्था होनी चाहिए।
शौचालय में डस्टबिन हो तथा प्रत्येक शीट के साथ एक बिन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
शौचालय की प्रत्येक शीट पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था तथा दीवार पर झरोखा या फिर एग्जास्ट फैन लगा होना चाहिए।
महिलाओं और पुरूषों के लिए प्रथक शौचालय और अलग अलग रास्ते होने चाहिए।

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