(किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की जानकारी अगर आपके पास है तो 7007096037 पर संपर्क करें। आपका नाम और पता गोपनीय रखा जाएगा)
लखनऊ। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 56 इंची सीना ठोककर देश को स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया है। इसी के तहत स्वच्छ भारत मिशन चलाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ मेें इस मिशन की जिम्मेदारी एक ऐसे अधिकारी के कंधो पर डाल दी गई है जो झूठ की नींव पर ईमारत खड़ी करने में महारथी हैं। कागजों की बाजीगरी में वह इतने उस्ताद हैं कि बड़े से बड़ा एग्जामनर भी खामियां निकालने को तरस जाए। इनकी अपनी मीडिया सेल भी है जो समय समय पर इनके कारनामों की भूरि भूरि प्रशंसा करती रहती है।
नगर निगम की इस जोड़ी पर कब होगा एक्शन, क्या आएंगे जांच के दायरे में
हम बात कर रहे हैं नगर निगम के मुख्य पशु चिकत्साधिकारी एके राव जी की। राव साहब को स्वच्छ भारत मिशन का जिम्मा दिया गया है इसके साथ ही राव साहब नगर निकाय के ज्वाइंट डायरेक्टर के पद पर भी आसीन हैं और वह मुख्य पशु चिकित्साधिकारी तो हैं ही। इसलिए उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। राव साहब के कंधों पर लखनऊ को ओडीएफ कराने की जिम्मेदारी दी गई तो उन्होंने सीधे लखनऊ को पहले ओडीएफ प्लस और फिर डबल प्लस का खिताब दिलवा दिया।
यह कमाल उन्होंने उसी लखनऊ नगर निगम के कर्मचारियों के दम पर किया जिनकी वजह से लखनऊ स्वच्छता रैंकिंग में 115वें पायदान से आगे बढ़कर 121वें पर पहुंच गया।
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अगर आप सोच रहे हैं कि राव साहब ने यह करिश्मा कैसे किया तो जवाब है कागजों के दांवपेच से। जिसमें वह महारथी हैं। राव साहब ने मुख्यमंत्री जी को खुश करने के लिए कागजों पर ऐसा कमाल किया कि स्वच्छता रैंकिंग में 121वें पायदान पर आने वाले लखनऊ को पलक झपकते ही पहले ओडीएफ प्लस और फिर डबल प्लस का खिताब मिल गया। राव साहब के पास अलादीन का कोई चिराग नहीं है। वह बस कागज के पक्के हैं। जिसकी वजह से यह संभव हो सका।
जमीनी हकीकत क्या है?
राजधानी लखनऊ में आज भी फैजुल्लागंज के तमाम इलाकों में सीवर लाइनों से घरों के शौचालयों को जोड़ा नहीं जा सका है। नालियों से सीधे मल बह रहा है। खुद नगर निगम मुख्यालय में बने टाॅयलेट का मल खुली नालियों में बह रहा है। पूरे लखनऊ की हालत आप समझ सकते हैं, हालांकि अभी कुछ दिन पहले से इस इलाके में सीवर लाइन से पब्लिक टाॅयलेट को जोड़ने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। लेकिन अभी भी उसमें वक्त लगेगा। इतना ही नहीं पुराने लखनऊ में तो कई इलाकों में अभी सीवर लाइन ही नहीं पड़ी यहां खुली नालियों में मल बह रहा है। जबकि ओडीएफ डबल प्लस के मानकों के अनुसार खुली नालियों में मल नहीं बह सकता। फिर सवाल उठता है कि लखनऊ को डबल प्लस का दर्जा मिला कैसे। जवाब भी स्पष्ट है आंकड़ों की बाजीगरी से। जिसमें राव साहब उस्ताद हैं।
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‘हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे’
पूर्व नगर आयुक्त उदयराज के भ्रष्टाचार से हलकान हो चुके नगर निगम लखनऊ की कमान जब बिजनौर में सीडीओ रहे इंद्रमणि त्रिपाठी को दी गई तो उम्मीद जगी कि शायद अब स्थिति सुधरेगी। व्यक्तिगत तौर पर वर्तमान नगर आयुक्त का दामन पाक साफ है लेकिन जिस तरह से वह ओडीएफ डबल प्लस में हुए भ्रष्टाचार पर मौन धारण किए हैं उससे कभी न कभी वह भी सवालों के घेरे में आएंगे। कहीं ऐसा न हो कि दूसरों को बचाने के चक्कर में वह खुद अपने दामन पर दाग न लगा लें।
ओडीएफ डबल प्लस में जिस तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। सिर्फ कागजों पर कमर कसी गई, जमीन पर कुछ नहीं हुआ। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारी डाॅक्टर एके राव पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। आखिर क्यों? आखिर नगर आयुक्त ने आंख पर पट्टी क्यों बांध रखी है। यह बड़ा सवाल है जिसकी तलाश हम कर रहे हैं।
अगले अंक में पढ़िए … इस अधिकारी के सर पर है किसका हांथ, 10 साल से चिपके हैं एक ही सीट पर