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लखनऊ। आकड़ों और तथ्यों की बाजीगरी के उस्ताज स्वच्छ भारत मिशन के कर्ता धर्ताओं ने क्या क्वालिटी काउन्सिल आॅफ इण्डिया की टीम को गुमराह करने की कोशिश की है। या फिर सब कुछ गोलमाल है? यह बड़ा सवाल उठना लाजमी है, क्योंकि बिना मानकों की पूर्ति किए लखनऊ ओडीएफ डबल प्लस हो गया, कैसे?
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लखनऊ में अभी 308 कम्यूनिटी और 252 पब्लिक ट्वायलेट बने हैं। इसमें से 74 ट्वायलेट काफी अच्छे बने हैं। इसके अलावा शहर के विभिन्न इलाकों में 14000 से ज्यादा पीएम मोदी की शौचालय योजना के तहत व्यक्तिगत ट्वायलेट भी बनाए गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में ट्वायलेट बनाए जाने के बाद ही लखनऊ को ओडीएफ फ्री घोषित किया गया था। अब उसे ओडीएफ डबल प्लस का प्रमाण पत्र भी मिल गया है।
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क्या दिल्ली की टीम को गुमराह किया गया
इसके लिए दिल्ली से आई स्पेशल टीम ने राजधानी लखनऊ के विभिन्न इलाकों में पब्लिक ट्वायलेट का निरीक्षण किया था। इनमें साफ सफाई की स्थिति से लेकर तमाम मानकों की जांच की गई थी। केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से रखी गयी एजेन्सी क्वालिटी काउन्सिल आॅफ इण्डिया की ओर से प्रमाण पत्र जारी किया गया और उसके बाद लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस प्रमाण पत्र मिला। फरवरी 2019 में एजेन्सी ने जांच के बाद इसका प्रमाण पत्र जारी किया। टीम ने इसके लिए 45 पब्लिक ट्वायलेट का निरीक्षण किया था।
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अब सवाल यह उठता है कि टीम ने उन्हीं टाॅयलेट का निरीक्षण किया जिन्हें निगम दिखाना चाहता था। या यूं कहें कि निगम के अधिकारियों ने जो दिखाया टीम ने वही देखा।
बहरहाल अब सवाल तो उठेंगे ही और एक न एक दिन स्वच्छ भारत मिशन के प्रभारी एके राव को इन सवालों के जवाब भी देने पड़ेंगे।
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