दिल्ली की शर्मनाक घटना: हम इंसान नहीं इंसानियत को नोचने वाले गिद्ध हैं?

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इंसानियत मर रही है। साम्प्रदायिक सद्भाव मानों कहीं खो सा गया है। ये गंगा जमुनी तहजीब किताबों में ही सिमट कर रह गई है। इंसानियत का अब कोई मोल नहीं रहा, क्योंकि हम गिद्ध होते जा रहे हैं जो मौका मिलते ही इंसानियत को नोचने पर अमादा हो जाते हैं।

पुरानी दिल्ली के चावड़ बाजार में जो कुछ पिछले दिनों घटा वह एक उदाहरण है। कैसे सामाजिक विवादों को साम्प्रदायिक बनाया जाता है।जिस तरह से एक मामूली विवाद को पलक झपकते साम्प्रदायिक हिंसा में बदल दिया गया। ये हमारे समाज और हमारे देश के लिए कैसे संकेत हैं। क्या अब इंसानियत मर चुकी है? क्या मजबही दीवारें इतनी मजबूत हो रही हैं कि इंसानियत उनके बीच दब गई है? ये हम कैसा भारत बना रहे हैं?

मजह स्कूटर खड़ी करने को लेकर शुरू हुए विवाद ने साम्प्रदायिक रंग ले लिया और पलक झपकते ही एक उन्मादी भीड़ ने मंदिर को तहस नहस कर दिया। आखिर क्यों? इस आपसी लड़ाई में उस भगवान को क्यों घसीटा गया।

कैसे शुरू हुई शुरूआत
रविवार 30 जून की रात मोहम्मद (20) एक दुकान के बाहर अपनी स्कूटी खड़ी कर रहा था। इस पर दुकानदार संजीत गुप्ता ने आपत्ति जताई। उसका कहना था कि मेरे दुकान के सामने गाड़ी मत खड़ी करो। इधर ग्राहक आते हैं। इस पर मोहम्मद नाराज हो गया। मौके पर तो वह चला गया , लेकिन बाद में वह अपने साथियों के साथ वापस आया। जो कथित रूप से शराब के नशे में थे। उन्होंने गुप्ता को मारा। वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि मोहम्मद की पिटाई की गई। बहरहाल मामला दो लोगों के आपसी विवाद का था।

लेकिन इसी बीच कुछ साम्प्रदायिक सद्भाव के विरोधी आए और दुर्गा मंदिर में घुस गए और तोड़फोड़ करने लगे।

क्या कहा पुजारी ने
मीडिया को दिए गए बयान में पुजारी ने बताया कि रविवार की रात नारेबाजी करते हुए एक भीड़ आई और मंदिर के अंदर घुसकर तोड़फोड़ की और चली गई।

अगले दिन दोनों पक्षों ने नारेबाजी की तो तनाव और बढ़ गया। एक पक्ष ने मंदिर को तोड़ा तो दूसरा पक्ष भी गुस्से में है। हालांकि अभी शांति कायम है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
किस तरह एक छोटी सी अफवाह सोशल मीडिया के जरिए विकराल रूप लेकर समाज में तनाव, दंगे और डर का माहौल बना सकती है, यह दिल्ली के हौजकाजी में हुई घटना से आसानी से समझा जा सकता है।