चुंबक की तरह 10 साल से चिपके हैं कुर्सी पर, है दम तो हटाओ!

## Lucknow UP

(किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की जानकारी अगर आपके पास है तो 7007096037 पर संपर्क करें। आपका नाम और पता गोपनीय रखा जाएगा)

Suyash Mishra
Suyash Mishra

लखनऊ। योगी सरकार उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट और कामचोर अधिकारियों को जबरन रिटायर कराने के लिए मुहिम चला रही है। जल्द ही एक और लिस्ट आ रही है, पर नगर निगम में पिछले 10 सालों से एक ही कुर्सी पर बैठे एक अधिकारी का नाम शायद इस लिस्ट में भी छूट जाए। चूंकि उनका रूतबा और पहुंच बहुत दूर तक है। शायद मुख्य सचिव तक उस अधिकारी के कारनामों की जानकारी नहीं पहुंच रही है। अब ऐसा लग रहा है मानों साहब सुशासन कायम करने वालों को चिढ़ा रहे हैं और चुनौती दे रहे हैं कि दम है तो हटा कर दिखाओ।

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एक बड़े अधिकारी का है संरक्षण

दरअसल शासन में एक बड़े अधिकारी का उन पर संरक्षण भी है। यही कारण है कि पिछले 10 सालों से वह अधिकारी कुर्सी से टस से मस नहीं हो पाए। हम बात कर रहे हैं नगर निगम में तैनात मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अरविंद कुमार राव जी की। राव साहब हो स्वच्छ भारत मिशन का प्रभारी भी बना दिया गया है।

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प्रभारी बनते ही उन्होंने ऐसी जादू की झप्पी लगाई कि लखनऊ शहर में लोग खुले में शौच जाना छोड़ दिए। साहब ने पलक झपकते ही लखनऊ को पहले ओडीएफ प्लस और फिर डबल प्लस का दर्जा दिला दिया। जबकि ओडीएफ डबल प्लस के अगर मानकों की जांच की जाए तो साहब के कारनामों का भंडाफोड़ हो सकता है।

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अभी भी शहर में नहीं है सीवर

हाल यह है कि अभी भी लखनऊ के तमाम इलाके हैं जहां सीवर लाइनों को घरों से जोड़ा नहीं जा सका है। वहीं पुराने लखनऊ में आज भी खुली नालियों में मल बह रहा है। चूंकि यहां पर सीवर लाइन ही नहीं पड़ी।

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मुख्यालय में ही देख लें टीजर!

साहब के कारनामों का टीजर अगर देखना चाहते हैं तो लखनऊ नगर निगम मुख्यालय ही हो लीजिए। मुख्यालय के बाईं ओर ई सुविधा केंद्र है। उसके बगल में जो नाली है वहीं पर खुलेआम पूरे निगम का मल बह रहा है। जबकि डबल प्लस की यह पहली शर्त है कि मल खुले में नहीं बहेगा। पर साहब आंकड़ों और तथ्यों की बाजीगरी में उस्ताद हैं। इसलिए वह बड़े अधिकारियों कागजी घोड़े दौड़ाकर सम्मोहित कर लेते हैं।

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मूल काम कर नहीं पा रहे दूसरा चार्ज भी दे दिया क्यों?

अभी तक न तो शहर अवैध डेरियों से मुक्त हो पाया और न ही सुअरों से। वहीं सांड़ आएदिन सड़कों पर किसी न किसी को शिकार बना रहे हैं। कुत्तों की नसबंदी भी राम भरोसे है। बावजूद इसके ऐसे अफसर को और जिम्मेदारी देकर क्या आखिर निगम क्या मैसेज देना चाहता है।

नहीं दिखते 14 हजार शौचालय

राव साहब की मानें तो लखनऊ शहर में 14 हजार शौचालयों को बनवाया गया है। हर 500 मीटर की दूरी पर सार्वजनिक शौचालय या फिर सामुदायिक शौचालय बने हैं इसी के बाद लखनऊ को ओडीएफ डबल प्लस का दर्जा दिया गया था। न तो 500 मी​टर की दूरी पर सार्वजनिक या फिर सामुदायिक शौचालय दिख रहे और न ही लखनऊ निगम क्षेत्र में 14 हजार व्यक्तिगत शौचालय।

इतना सब होने के बाद भी अगर साहब उच्च अधिकारियों की नजरों में नही आए हैं तो यह चिंता का विषय है। बहरहाल हमारी कोशिश जारी है, ऐसे अधिकारियों को नकाब से बाहर लाने के लिए।