CM योगी को खुली चुनौती दे रहे हैं ये अफसर, पूर्व की तरह रामराज्य में भी करेंगे भ्रष्टाचार!

Lucknow UP
Suyash Mishra
Suyash Mishra

(किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार की जानकारी अगर आपके पास है तो 7007096037 पर संपर्क करें। आपका नाम और पता गोपनीय रखा जाएगा)

भ्रष्टाचार, गुंडाराज और कानून व्यवस्था। यूपी में इन तीन मुद्दों को लेकर बीजेपी ने तख्ता पलट दिया था। मार्च 2017 में भगवा वस्त्र पहनने वाले योगी आदित्यनाथ को सूबे की कमान सौंपी गई। इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने यूपी की जनता से खुले मन से कहा था कि मैं राम राज्य लाकर रहूंगा, लेकिन इस रामराज्य में कई विभागों के अफसर रोड़ा डाल रहे हैं। उन्हीं विभागों में से एक है नगर निगम। हम नहीं भी बताएंगे फिर भी आप समझ जाएंगे कि हम बात किसकी कर रहे हैं।

बहरहाल, राम राज्य लाने का दावा करने वाली योगी सरकार ने गुंडाराज पर तो नकेल कसी है, बेपटरी कानून व्यवस्था भी पटरी पर आ रही है। पर भ्रष्टाचार से निपटना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। वह इसलिए कि पूर्व सरकारों में मलाई काटने वाले अधिकारियों के खून में करप्शन का विष इतना अंदर तक पहुंच गया है कि कोई भी मेडिकल साइंस उसे फिल्टर करके स्वच्छ नहीं कर सकती!

भ्रष्ट और नकारा अफसरों सावधान!

बावजूद इसके सूबे की जनता को यूपी के सीएम पर अभी भी उम्मीदे हैं। वह टकटकी लगाए बैठी है कि भ्रष्ट अफसरों पर गाज गिरेगी। आज नही ंतो कल। यह उम्मीद एक बार फिर जगी जब इसी महीने 21 जून को भ्रष्टाचार के आरोपित जेलर यूपी सिंह और डिप्टी जेलर डीके सिंह को बर्खास्त किया गया। दरअसल गुरूवार 20 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त लहजे में कहा था कि भ्रष्ट और बेईमान अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दें। इसके अगले ही दिन इन दो अफसरों पर गाज गिरी इसके साथ ही यूपी में भ्रष्ट और नकारा अफसरों पर तलवार तन गई।

नगर निगम के अफसरों पर गिर सकती है गाज

मोदी सरकार ने भी 50 की उम्र पार कर चुके नकारा और भ्रष्ट अफसरों को हटाना शुरू कि तो यूपी में भी उसका असर दिखा। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद प्रदेश में हर विभाग से 31 जुलाई तक नकारा और भ्रष्ट अफसरों की सूची मांगी गई है। मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय खुद इसकी माॅनीटरिंग कर रहे हैं। सूत्रों से खबर आ रही है कि नगर निगम के भी कुछ लोगों का नाम इस लिस्ट मेें आ रहा है। वहीं कुछ अधिकारी जुगाड़ लगाकर अपना नाम कटवाने के लिए भी जोर आजमाइश कर रहे हैं। बहरहाल कौन कामयाब होगा कौन नहीं इस पर चर्चा आगे होती रहेगी। मौजूदा समस्या यह है कि नगर निगम में भ्रष्टाचार का जो तांडव हो रहा है, वह मुख्य सचिव की इस टीम की नजर में है या फिर नहीं। अगर नहीं तो हम आपको बता रहे हैं।

भ्रष्टाचार केस नंबर एक

नगर निगम में एक अधिकारी हैं जो छल्लेदार बाते करने में उस्ताद हैं। उनके मुंह से तो मिठास बहती है पर काम की बात करें तो उनके काम की पूरी ईमारत भ्रष्टाचार की नींव पर टिकी है। इस बात का हम दावा कर सकते हैं आप बस शहर का एक चक्कर लगाने के लिए तैयार हो जाइए। हम उनका नाम न भी बताएं तब भी आप जान जाएंगे कि हम बात मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एके राव जी की कर रहे हैं। दरअसल राव साहब आंकड़ों और तथ्यों की बाजीगरी में पैदइसी उस्ताद हैं। यह हम नहीं कर रहे नगर निगम के ही कुछ लोग हैं जो कहते हैं।

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कागजों के पक्के हैं राव साहब

लखनऊ को खुले में शौचमुक्त करने की जिम्मेदारी राव साहब को दी गई तो यहां भी उन्होंने दांव खेल दिया। मुख्यमंत्री जी को खुश करने के लिए कागजों पर ऐसा कमाल किया कि स्वच्छता रैंकिंग में 121वें पायदान पर आने वाले लखनऊ को पलक झपकते ही पहले ओडीएफ प्लस और फिर डबल प्लस का खिताब दिलवा दिया। आश्चर्य मत होइए। राव साहब के पास अलादीन का कोई चिराग नहीं है। वह बस कागज के पक्के हैं। कागजों में लखनऊ को डबल प्लस दिलवा दिए।

अगली सीरीज में पढ़िए…

मानकों पर न जाएं। अगर ओडीएफ डबल प्लस के मानकों पर जाएंगे तो आप अपना धैर्य खो देंगे। इसलिए कागजों पर विश्वास करें। राव साहब कागज के बड़े पक्के हैं। अगर धैर्य खोना ही चाहते हैं तो नीचे नीले रंग के लिंक पर क्लिक करें और असलियत खुद जान लें।

CM योगी की आंखों में धूल झोंक रहे नगर निगम के पार्षद और अधिकारी

भ्रष्टाचार केस दो

हम बात कर रहे हैं नगर निगम के उद्यान विभाग की। यहां मालियों के वेतन पर डाका डाला जा रहा है। मालियों के मूल वेतन की लूट हो रही है। न तो कोई देखने वाला और न ही सुनने वाला। अगर कोई आवाज उठाता है तो उसे कार्यमुक्त कर दिया जाता है। इतना ही नहीं निगम के अधिकारी उससे कहते हैं कि आपका निगम से कोई मतलब नहीं आप अपने ठेकेदार से बात करें। कारण सिर्फ वहीं है नीचे से ऊपर तक बंदरबांट। नगर निगम में सैकड़ों कार्यदायी संस्थाएं रजिस्टर्ड हैं जो कि मैन पावर सप्लाई करती हैं। निगम इन्हें हर माली के हिसाब से जो पैसे देता है ठेकेदार मालियों को उसका आधा भी नहीं देते। इस मामले में उद्यान अधीक्षक की भी संलिप्तता की जांच होगी तो मामला पानी की तरह साफ हो जाएगा।

भ्रष्टाचार केस तीन

सूत्रों के मुताबिक जोन 8 के नगर अभियंता अमरनाथ और एई पीके श्रीवास्तव इन दिनों बड़ी खिचड़ी पकाने में लगे हैं। इनके पास जोन.5 का भी चार्ज है इन लोगों के द्वारा वृन्दावन कालोनी जो अभी नगर निगम को हैण्डओवर हुई हैए उसमें 6 करोड़ के विकास कार्य की फाइलें मोटी रकम लेकर बेचने की तैयारी हो रही है। सूत्रों की मानें तो इसमें नगर अभियंता और एई की मुख्य भूमिका सामने आ रही है। यह मामला जब नगर आयुक्त के संज्ञान में भी है उन्होंने सार्वजनिक रूप से अभियंताओं को डांट लगाई है। पर नगर आयुक्त की आंखों में धूल झोंक कर 2 करोड़ का काम बेच दिया गया है बाकी को भी सेटिंग करके बेचने की तैयारी है।

नगर निगम की इस जोड़ी पर कब होगा एक्शन, क्या आएंगे जांच के दायरे में