कर्मचारियों को रास नहीं आ रहे ऑफिस, कह रहे- काम करने के नए तरीकों के लायक नहीं

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(www.arya-tv.com) कर्मचारियों को अब ऑफिस रास नहीं आ रहे हैं। एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है। ज्यादातर कर्मचारी मानते हैं कि ऑफिस काम करने के नए तरीकों के लिए तैयार नहीं हैं। जबकि अधिकांश भारतीय सप्ताह में कम से कम कुछ बार ऑफिस आने के इच्छुक हैं।

ग्लोबल नेटवर्किंग दिग्गज सिस्को के अनुसार, भारत में लगभग 96 फीसदी कंपनियों ने उत्पादकता, टीम कम्यूनिकेशन और लीडरशिप प्रेशर को देखते हुए पूर्ण या आंशिक रूप से ऑफिस आना अनिवार्य कर दिया है।

हफ्ते में कुछ ही दिन ऑफिस आना चाहते हैं

लगभग 76 फीसदी कर्मचारियों ने ऑफिस लौटने के अपने संगठन के आदेश पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। वहीं, 82 फीसदी ने प्रति सप्ताह कम से कम कुछ बार ऑफिस आने की इच्छा जताई।

हाइब्रिड काम को अपना रहे कर्मचारी

सिस्को एपीजेसी के संदीप मेहरा ने कहा, ‘हमारी स्टडी से पता चलता है कि पूरे सेक्टर में कर्मचारियों ने हाइब्रिड काम को अपनाया है। वे हफ्ते में अधिक बार भी ऑफिस लौटने को तैयार हैं, लेकिन एक चेतावनी के साथ कि वर्कप्लेस को उनकी उभरती जरूरतों और अपेक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए।’

1,650 कंपनियों ने सर्वे में लिया हिस्सा

स्टडी में नवंबर 2023 में 9,200 पूर्णकालिक कर्मचारियों और 1,650 नियोक्ताओं का सर्वे किया गया। सर्वे में भाग लेने वाले लोग और कंपनियांं ऑस्ट्रेलिया, हांगकांग, भारत, फिलीपींस, ताइवान, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया सहित एशिया प्रशांत बाजारों से हैं।

स्टडी में जिक्र किया गया है कि कर्मचारियों के ऑफिस लौटने का मुख्य कारण व्यक्तिगत काम नहीं है, बल्कि सहकर्मियों के साथ सहयोग करना (80 प्रतिशत), विचार-मंथन करना (53 प्रतिशत) और अपनेपन की भावना को बढ़ावा देना (58 प्रतिशत) है।

नए तरीकों के अनुरूप नहीं हैं ऑफिस

इसके अलावा, पूरे भारत में ऑफिस लेआउट और बैठने की व्यवस्था का जिक्र करते समय, 64 प्रतिशत कर्मचारियों को लगता है कि ये कोलैबोरेशन और विचार-मंथन के उद्देश्यों के लिए अनुकूल नहीं हैं। जबकि, कोलैबोरेशन पर जोर बढ़ रहा है।

सर्वे में शामिल 85 प्रतिशत कर्मचारी अभी भी अपने कार्यालयों का कम से कम आधा हिस्सा व्यक्तिगत कार्यस्थलों को आवंटित करते हैं।

कर्मचारियों ने जिक्र किया कि व्यक्तिगत कार्यस्थान (40 प्रतिशत), बड़े (48 प्रतिशत) और छोटे (58 प्रतिशत) मीटिंग रूम ऑफिस में उत्पादकता बढ़ाने में अप्रभावी हैं या केवल मामूली रूप से ही ऐसा करते हैं।

संदीप मेहरा ने कहा कि हाइब्रिड कार्यों के लिए सहयोगी प्रौद्योगिकियों को तैनात करने में कर्मचारियों की प्रगति सराहनीय है। लेकिन केवल उपकरण प्रदान करना पर्याप्त नहीं है।

अधिकांश कर्मचारी इनका प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए खुद को तैयार महसूस नहीं करते हैं। एक सकारात्मक बात यह है कि स्टडी से पता चला कि संगठन अपने ऑफिस प्लेसेस को बदलने में प्रगति कर रहे हैं।