पल्लवी पटेल ने अखिलेश यादव को बताया मुस्लिमों का ‘मीर जाफर’, कहा- ‘BJP को हराना नहीं चाहते’

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव में हिंदू-मुसलमान और पाकिस्तान के बाद अब बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के गद्दार सेनापति मीर जाफर की भी एंट्री हो चुकी है. अपना दल कमेरावादी की नेता और विधायक पल्लवी पटेल ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें मीर जाफर करार दिया है. पल्लवी पटेल समाजवादी पार्टी की ही विधायक हैं. लेकिन, उन्होंने बिना नाम लिए अखिलेश यादव को इशारों में मुसलमानों का मीर जाफर बताया हैं.

पल्लवी ने कहा है कि जिस तरह से गद्दार सेनापति मीर जाफर की वजह से अठारह हजार सैनिक होने के बावजूद बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को डेढ़ सौ अंग्रेजों के सामने हार का सामना करना पड़ा था, उसी तरह यूपी के मुसलमान मीर जाफर अखिलेश यादव के चलते हाशिए पर है. पल्लवी पटेल ने कहा कि मुसलमानों की रहनुमाई का दावा करने वाला मीर जाफर कतई यह नहीं चाहता कि बीजेपी इस चुनाव में हारे. मीर जाफर की असलियत को लोग पहचान चुके हैं इसलिए अब बीजेपी को हराने वाले लोग पीडीएम को वोट देंगे.

अखिलेश यादव को बताया कन्फ्यूज नेता
पल्लवी पटेल ने अखिलेश यादव को कन्फ्यूज नेता भी बताया है और कहा कि वो PDA में A को लेकर हमेशा कंफ्यूज रहते हैं. कभी ए को अल्पसंख्यक बताते हैं कभी आधी आबादी, कभी अगड़ा बताते हैं तो कभी ऑल. हमने पीडीएम बनाकर एम मुसलमानों के लिए रखा है. अखिलेश यादव ने राज्यसभा चुनाव में किसी मुस्लिम महिला को उम्मीदवार नहीं बनाया, बल्कि ऐसी महिला को बनाया जिसने त्रिस्तरीय आरक्षण लागू नहीं होने दिया.

पल्लवी पटेल ने मौत के घाट उतारे जा चुके माफिया अतीक अहमद की भी जमकर तारीफ की और अतीक को कर्मठ व जुझारू जनप्रतिनिधि बताया. उन्होंने कहा, अतीक अहमद माफिया था यह सिक्के का सिर्फ एक पहलू है जबकि दूसरा पहलू यह है कि वह जनता द्वारा चुना गया सांसद विधायक भी था. अखिलेश यादव मुसलमान को मुर्गी समझते हैं. वह मुसलमानों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल तो करते हैं लेकिन उनके हक और अधिकार की कोई लड़ाई नहीं लड़ना चाहते.

पल्लवी पटेल ने कहा, अतीक अहमद की पुलिस कस्टडी में हत्या के बाद भी अखिलेश यादव ने कोई आवाज नहीं उठाई. वह मुसलमानों के लिए ना तो सदन में बोलते हैं ना सड़क पर. अतीक को सजा देने का काम न्यायपालिका का था. लेकिन, जिस तरह से उसकी हत्या हुई उससे समाज के एक बड़े तबके की भावनाएं आहत हुई हैं. जिन लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं, उनसे अपील करते हैं कि वह दरी बिछाने तक सीमित ना रहे, बल्कि अपने हक और अधिकार के लिए आवाज उठाएं और सही विकल्प चुने.