(www.arya-tv.com) अनचाहा गर्भ ठहरने पर न तो डॉक्टर को दिखाया और न ही डॉक्टर से सलाह ली। सहेली के कहने पर मेडिकल स्टोर से दवाएं मंगाकर खा ली। अब इसके दुष्प्रभाव से महिलाओं को गर्भधारण करने में दिक्कत हो रही है। एसएन मेडिकल कॉलेज की स्त्री रोग विभाग की स्टडी के मुताबिक ऐसी तीन फीसदी महिलाएं बांझपन का दर्द झेल रही हैं और 12 फीसदी महिलाओं में दुष्प्रभाव है।
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सरोज सिंह ने बताया कि 62 फीसदी महिलाएं बिना चिकित्सक के परामर्श के गर्भपात की दवाएं खा रही हैं। बीते 12 महीने में 6852 महिलाओं ने गर्भपात की दवाएं खाईं। गलत ढंग से दवाएं खाने से 12 फीसदी में दुष्प्रभाव सामने आए। इनमें अत्यधिक रक्तस्राव, एक से डेढ़ महीने तक रक्तस्राव, शत प्रतिशत भ्रूण बाहर न आना, लंबे समय तक रक्तस्राव से संक्रमण की परेशानी मिली। पूछताछ में पता चला कि गर्भ गिराने के लिए अधिकांश ने दो-तीन बार दवाओं का इस्तेमाल किया। इनमें से चार फीसदी की हालत गंभीर मिली और अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। तीन फीसदी महिलाओं की जांच में संक्रमण से ट्यूब्स बंद मिले, जिससे मां बनने का सुख प्राप्त नहीं हुआ।
बच्चेदानी में संक्रमण और एनमिक भी
वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुपमा शर्मा ने बताया कि गर्भपात की दवाएं सही तरीके से या पूरी नहीं खाई। 30-40 दिन तक रक्तस्राव होने पर भी डॉक्टर को नहीं दिखाया। इससे बच्चेदानी में संक्रमण तो हुआ ही, खून की कमी भी हो गई। रक्तचाप और हृदय गति भी प्रभावित हुई। इनमें निमभन वर्ग की महिलाओं की संख्या सबसे अधिक है।