कारोबारी दुनिया के कोहिनूर है यूनिकार्न, जानें क्या है पूरा मामला

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(www.arya-tv.com) काफी दिनों चर्चे में है यूनिकार्न शब्द,तो उसके विषय में उत्सुकता बहुत स्वाभाविक है। दरअसलए यूनिकार्न उस नई कंपनी को कहते हैं जिसकी वैल्यू यानी वित्तीय हैसियत एक अरब डालर से अधिक हो जाती है। इस शब्द की शुरुआत साल 2013 में अमेरिका की एक महिला निवेशक एलिन ली ने की थी। भारत में यूनिकार्न कंपनियों की रफ्तार साल दर साल बढ़ती जा रही है। साल 2015 में चार कंपनियां तो 2020 आते.आते 10 कंपनियों ने इस सूची में जगह बनाई और इस साल सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 32 नई कंपनियां यूनिकार्न बन चुकी हैं।

इंडियन स्टार्टअप ईकोसिस्टम वर्ष 2020 में 11.1 अरब डालर फंडिंग यानी पूंजी जुटाने के मुकाबले मौजूदा साल में इससे कहीं आगे 28 अरब डालर की फंडिंग हासिल कर चुका है, जो निरंतर तेजी से बढ़ रहा है। अगर सेक्टर के हिसाब से देखा जाए तो हेल्थकेयर, फिनटेक और एडुटेक जैसी कंपनियां सबसे अधिक फंडिंग लेने में कामयाब रही हैं। आसान शब्दों में कहा जाए तो फंडिंग अधिक आने से स्टार्टअप ईकोसिस्टम और देश की अर्थव्यवस्था का सीधा विकास होता है, जिससे रोजगार के अवसर भी सृजित होते हैं।

फंड की कमी से बंद होते स्टार्टअप्स

आज भी तमाम स्टार्टअप्स फंड की कमी की वजह से बंद हो जाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को देश में फंड मुहैया कराने वाले वेंचर कैपिटलिस्ट और एंजेल इन्वेस्टर्स को अधिक प्रोत्साहित करने पर बल देना चाहिए। देश की तरक्की में स्टार्टअप्स के योगदान को बढ़ाना समय की मांग है। साफ है कि सरकार के सार्थक प्रयास से संभव है कि आने वाले समय में ‘इंडिया’ के साथ ‘भारत’ भी अपना भरपूर योगदान दे पाए, क्योंकि गांवों का विकास ही देश का विकास है। ऐसे में वह दिन दूर नहीं, जब भारत में भी यूनिकार्न कंपनियां आम हो जाएं।