OBC और SC अभ्यर्थियों का धरना:23 नवंबर को करेंगे विधान सभा का घेराव

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(www.arya-tv.com)शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार का आरोप लगा ओबीसी/एसी मोर्चा का धरना लगातार 126 वें दिन जारी रहा। नाराज अभ्यर्थियों ने अब 23 नवंबर को विधानसभा घेराव की चेतावनी दी है। दरअसल, पिछले महीने इसको लेकर कमिटी बनी थी, लेकिन उसने अभी तक अपनी रिपोर्ट नहीं दी है।

आईएएस मुकुल सिंघल के नेतृत्व में कमिटी बननी थी। लेकिन, अभी तक बन नहीं पाई है। अब नाराज अभ्यर्थी हजारों की संख्या में बड़ा आंदोलन करने का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि इस दौरान ईको गार्डन में धरना जारी रहेगा।

कर रहे रिपोर्ट लागू करने की मांग

प्रदर्शनकारी राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे है। इसमें पाया गया है कि करीब 20 हजार पदों पर धांधली हुई है। अभ्यर्थियों ने बताया कि सरकार की ओर से उनको 15 दिनों का आश्वासन दिया गया था।

वरिष्ठ आईएएस मुकुल सिंघल के नेतृत्व में कमिटी भी बनी है, लेकिन उसने भी कुछ नहीं किया। ऐसे में अब 23 नवंबर को विधानसभा का घेराव करने का फैसला किया गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकारी भ्रष्टाचार की वजह से 20 हजार नौकरियां अन्य वर्गों के लोगों को मिल गई हैं।

22 नंवबर के बाद उग्र होगा आंदोलन

धरने में शामिल विजय यादव ने बताया कि हमने अपनी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को 22 नवंबर तक का समय दिया है। हालांकि इस दौरान कार्मिक अनशन चलता रहेगा। 22 नवंबर तक हमारी मांगें पूरी नहीं हुईं तो राज्य के सभी जिलों के हमारे साथी 23 नवंबर को विधानसभा का घेराव करेंगे।

बेसिक शिक्षा विभाग की अनदेखी की वजह से भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। हम लोग मुख्यमंत्री तक को मांग पत्र भेज चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। अब मजबूरन हमें सड़क पर उतरना पड़ रहा है।

लखनऊ के ईको गार्डन में धरना दे रहे अभ्यर्थियों के सरकार से दो प्रमुख सवाल हैं. 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी को 27 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 3.86 प्रतिशत आरक्षण क्यों? भर्ती में दलित वर्ग को 21 प्रतिशत के स्थान पर उनके कोटे में 16.6 % आरक्षण क्यों?

इन मांगों को लेकर हो रहा आंदोलन

धरना दे रहे भारतीयों की सरकार से मांग है कि आरक्षण नियमावली बेसिक शिक्षा विभाग उप्र-1994 का सही ढंग से पालन हो क्योंकि अब तक ऐसा न हो पाने की वजह से 20 हजार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए। इसके अलावा ये लोग आरक्षण के अधिकार 27 प्रतिशत और 21 प्रतिशत को पूरी तरह से लागू करने की भी मांग कर रहे हैं।