(www.arya-tv.com) भगवान शिव की नगरी काशी अपने दिव्यता भव्यता और अल्हड़पन के जाना जाता हैं। यहां श्मशान घाट पर भी लोग उत्सव मनाते दिखाई देते हैं। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म होली में आप लोगों को उत्सव मनाते देखे होंगे। उसी काशी में एक और परंपरा है, जो सदियों से चली आ रही है। वह यहां के नगर वधुओं का नृत्य हैं…ये नृत्य जो मणिकार्णिका घाट पर जलती चिताओं के बीच होता है।
नवरात्रि की सप्तमी तिथि को वाराणसी का महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर नगर वधुओं ने जलती चिताओं के बीच रात भर नृत्य किया। साथ ही काशी विश्वनाथ के रूप बाबा मसान्नाथ के दरबार में नगर वधुओं ने हाजिरी लगाई और बाबा से वरदान मांगा कि अगले जन्म में हमें नगर वधु न बनना पड़े।
करीब 400 साल पुरानी है ये परंपरा
काशी के मंदिरों में देवता के सामने संगीत पेश करने की परंपरा सैकड़ों साल पुरानी है। 400 साल पहले राजा मान सिंह ने बाबा मसान नाथ के दरबार में काशी के कलाकारों को बुलाया था। तब श्मशान होने के कारण कलाकारों ने आने से इनकार कर दिया। तब समाज के सबसे निचले तबके की इन नगर वधुओं ने आगे बढ़कर इस परम्परा का निर्वहन किया। ये परंपरा ये ही लोग आज तक निभाते चली आ रही हैं।