बरेली की महिमा की संघर्ष गाथा ने पिघलाया पीएम मोदी का दिल, बदल गया NEET का नियम

Bareilly Zone UP

(www.arya-tv.com) यह महज लेख नहीं है, एक संघर्ष गाथा है। ऐसी गाथा, जो दशकों में नहीं सदियों में सुनने-पढ़ने को मिलती है। हम बात कर रहे हैं बरेली की इज्जतनगर की स्वप्नलोक कालोनी में 29 अगस्त 2001 को जन्मी 80 प्रतिशत दिव्यांग महिमा शाह की। दिव्यांगता को मात देकर महिमा ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राइटर देने की विशेष अनुमति दी। इसी के बाद से यह आदेश पारित हो गया कि दिव्यांगों को नीट की परीक्षा में राइटर दिया जा सकता है।

जन्म लेने के पहले तीन साल तक वह ना तो बोल पाती थी और ना ही बैठ पाती थी। उसने तीन साल की उम्र पूरी करने के बाद पहला शब्द काका बोला। इसी एक शब्द से उसने अपनी पहली प्रतिक्रिया दी। उसके शिखर तक जाने का पहला पग काका था। इसके बाद उसने महज छह माह में अच्छे से बोलना शुरू कर दिया और अंग्रेजी, हिंदी में गिनती, वर्णमाला आदि कंठस्थ कर लिया। इसके बाद एक साल के अंदर उसने बैठना शुरू कर दिया। अगर किसी ने तेज आवाज दे दी या फिर भी ताली भी बजा दी तो उसका शारीरिक संतुलन खराब हो जाता था और वह गिर जाती थी।

सेरेब्रल पाल्सी की है बीमारी :

महिमा को सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी है। इस बीमारी में व्यक्ति का शरीर शिथिल हो जाता है। इससे उसके शरीर के मूवमेंट में शिथिलता आ जाती है।