छेड़खानी से चिड़िया भी परेशान

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(www.arya-tv.com) आपने हमिंग बर्ड का नाम भले ही न सुना हो, मगर इसे लाइव या किसी वीडियो में जरूर देखा होगा। जी हां, जैसा कि इसके नाम से जाहिर हो रहा है यह वही छोटी सुंदर और इकलौती चिड़िया है जो हेलिकॉप्टर की तरह बीच हवा में स्थिर रह सकती है। जरूरत पड़ने पर हेलिकॉप्टर की तरह आगे-पीछे और दाएं-बाएं भी उड़ सकती है। ऐसा वह हर सेकेंड में पंख फड़फड़ाकर 80 बार कर पाती है। इसके अलावा मादा हमिंग बर्ड में रूप बदलने की भी खूबी होती है।

दरअसल, इंसानों की तरह मादा हमिंग बर्ड भी नरों की छेड़छाड़, यानी उत्पीड़न से परेशान रहती हैं। हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि मादा हमिंग बर्ड नरों की छेड़खानी से बचने के लिए उनके ही जैसा रूप धर लेती हैं। नर हमिंग बर्ड उन्हें पहचान नहीं पाते और मादा अपने चूजों के लिए दाना-पानी लाने में कामयाब हो जाती हैं।

हरी जैकोबिन मादा हमिंग बर्ड अपने बचाव के लिए खुद को नीले रंग में बदल लेती है
करेंट बायोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक मैक्सिको-ब्राजील के बॉर्डर पर पाई जाने वाली मादा जैकोबिन हमिंग बर्ड अपने प्राकृतिक हरे रंग में रहने के बजाय अपने फर का रंग नर हमिंग बर्ड की तरह कर लेती हैं। नर हमिंग बर्ड के सिर का रंग गहरा नीला, पूंछ चमकदार सफेद और पेट का रंग सफेद होता है, जबकि आमतौर पर मादा हमिंग का रंग हल्का हरा होता है।

वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और जर्नल करेंट बायोलॉजी के लेखक डॉ. जे फाल्क का कहना है कि पिछले 50 सालों से वैज्ञानिक पक्षियों की मेटिंग के लिए ‘थ्योरी ऑफ नेचुरल सिलेक्शन’ पर भरोसा करते आए हैं। इसके अनुसार पक्षी मेटिंग के लिए अपने पार्टनर खुद चुनते हैं और अपने कुछ खास लक्षणों से उसे लुभाने की कोशिश करते हैं।

जैसे नर मोर अपने खूबसूरत पंख फैलाकर और नर हमिंग बर्ड अपने नीले रंग की गर्दन से मादा पक्षी को लुभाने की कोशिश करते हैं, लेकिन मादा हमिंग बर्ड्स के साथ ऐसा नहीं है। वे अपना रंग बदलती तो हैं, लेकिन अपने पार्टनर को लुभाने के लिए नहीं बल्कि उनसे बचने के लिए।

400 सफेद गर्दन वाले जैकोबिन हमिंग बर्ड्स पर रिसर्च
हमिंग बर्ड के इस बर्ताव को जानने की लिए डॉ. फाल्क ने 2015 में पनामा शहर के आस -पास और जंगलों में तकरीबन 400 से ज्यादा सफेद गर्दन वाली जैकोबिन मादा को चुना। उनमें से लगभग 28% मादा हमिंग बर्ड का रूप नर से मिलता-जुलता था। छोटी मादाओं के शरीर पर नर जैसी ही चमकदार नीली परत थी।

जैसे-जैसे वे बड़ी होती गईं, उनका रंग पिघले हुए हरे रंग में बदलता गया। इस बात से ये साबित होता है कि मादा हमिंग बर्ड अपना रंग बदलकर सिर्फ नाटक नहीं कर रही थीं। वो ऐसा नर हमिंग बर्ड को लुभाने के लिए भी नहीं करतीं। असल में मादा हमिंग बर्ड ने ऐसा नरों के आक्रामक बर्ताव से बचने के लिए किया था।

नर का व्यवहार हरे रंग की मादा के प्रति 10 गुना ज्यादा आक्रामक
डॉ. फाल्क ने क्ले से बनी डमी पक्षियों पर रिसर्च की। शहर में बने एक बर्ड फीडर पर डमी हमिंग बर्ड्स को रखा। इनमें हरे रंग की मादा, नीले रंग की मादा और नीले रंग के नर जैसी डमी शामिल थीं। नर पक्षी हरे रंग की डमी मादा पक्षियों को निशाना बना रहे थे, जबकि जिन पक्षियों का रंग नीला था, वे सुरक्षित थीं।

रिसर्च में ये भी पाया गया कि नर, हरे रंग वाली मादाओं का पीछा नीले रंग वाली मादाओं की तुलना में 10 गुना ज्यादा करते हैं। यही नहीं, हरे रंग वाली मादा के प्रति नर हमिंग का व्यवहार बहुत आक्रामक होता है। रिसर्च से ये पता चला कि भले ही दिखने में हमिंग बर्ड्स छोटी होती हैं, लेकिन उनका व्यवहार बहुत आक्रामक होता है जिससे बचने के लिए कई मादा पक्षी नर पक्षी के रंग का सहारा लेती हैं।