- विपुल लखनवी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत
नवी मुंबई। सिडको ने खारघर स्थित गैर व्यसायिक गौशाला को जो सिडको की जमीन पर गौ सेवकों द्वारा गैर व्यवसायिक तरीके से चलाया जा रहा था उसको उजाड़ने का नोटिस दिया है। जिसकी अवधि 11 मई को समाप्त हो रही है। लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है सिडको ने नवी मुंबई के आसपास हजारों गांव की भूमि को अधिग्रहित किया लेकिन पैसे के लालच में सिर्फ भवन निर्माताओं को जमीन बेची आवारा पशुओं अथवा गोवंश के जीवन निर्वाह के लिए कोई भी योजना नहीं बनाई। पहले की सरकारों ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया। अब जब केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस दिशा में ध्यान दे रही है तो इस तरह के किसी कानून का प्रावधान भी नहीं दिखता।
आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है समुद्र के किनारे की जमीन भी बिल्डर्स को दे दी गई। मैंनग्रूव को नष्ट कर कंस्ट्रक्शन किया। समुद्र में जेटी बनाने के लिए निर्माण किया गया। कचरा फेंकने के लिए ट्रकों को अनुमति दी गई। लेकिन भटकती हुई आवारा गाय को कोई संस्था तनिक सी जमीन लेकर सेवा भाव से कार्य करती है तो उसको सिडको नोटिस देने में पीछे नहीं आती। तब सिडको को पर्यावरण संरक्षण की चिंता होती है।
इस दिशा में नवी मुंबई कोपरखैरने स्थित ग्रामीण आदि रिसर्च एंड वेदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित भारत के ट्रस्टी विपुल लखनवी ने अन्य 6 एनजीओ को मिलाकर गोवंश के बचाव हेतु एकजुट होने का आह्वाहन किया है और 5 मई को सायंकाल 4:00 बजे अग्रवाल विहार सेक्टर 7 कोपरखैरने में सभी एनजीओ की मीटिंग बुलाकर एक सामान्य रणनीति तैयार करने की योजना बनाई है।
यह भी ज्ञात हो गर्वित भारत ने पिछले दिनों नवी मुंबई पनवेल और ठाणे जिले के गैर व्यवसायिक गौशालाओं का सर्वेक्षण कर आंकड़ा भी तैयार किया है।