ज्ञानवापी मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई आज: 31 साल पुराने मुकदमे की सुनवाई होगी या नहीं यह तय करेगा इलाहाबाद हाईकोर्ट

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(www.arya-tv.com) वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जुड़े मामले में बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। 31 साल पुराने इस मुकदमे की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो सकती है या नहीं यही तय होना है।

31 साल पहले 1991 में दाखिल हुआ था मुकदमा

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर के 31 साल पहले 1991 में वाराणसी की जिला अदालत में मुकदमा दाखिल किया गया था। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट को यह तय करना है कि 30 साल पहले 1991 में वाराणसी जिला अदालत में दायर याचिका पर सुनवाई हो सकती है या नहीं।

इस याचिका में ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर विश्वेश्वर महादेव का मंदिर होने का दावा किया गया था। हिंदू पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद आज हाईकोर्ट यूपी सरकार का पक्ष सुनेगी। इससे पहले यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने भी ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ से अपना पक्ष रखा था।

213 साल पहले ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर हुई थी सांप्रदायिक हिंसा

अब तक मिले साक्ष्यों के अनुसार 1809 में ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर नमाज़ पढ़े जाने को लेकर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इसके बाद 1984 की दिल्ली धर्म संसद में अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिरों पर अपने अधिकार हासिल किए जाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। 1991 में जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू पक्ष ने अपना दावा ठोका था। तभी से इसको लेकर विवाद चल रहा है। कुछ महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने और सर्वे कराने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी थी। मुस्लिम पक्ष ने इसे इलाहाबाद हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने पुरातात्विक सर्वेक्षण की कार्रवाई पर स्टे कर दिया था और फैसला सुरक्षित कर लिया था। बीते दिनों वाराणसी के सिविल जज जूनियर डिवीजन के आदेश से ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा कमीशन की कार्रवाई की गई थी। इस दौरा ज्ञानवापी की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हुई थी। इसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई थी। इसमें हिंदू पक्ष द्वारा यह दावा किया गया था कि वजूखाने में जो आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मिला है।

वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना था कि जिस पत्थर के शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है वह दरअसल पुराना फव्वारा है जो खराब है। हिंदू पक्ष के दावे के बाद सविल जज सीनियर डिवीजन ने वजूखाने को सील करने का आदेश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई वाराणसी के जिला जज की अदालत में चल रही है।