(www.arya-tv.com) पेराई क्षमता की नई चीनी मिल, 60 हजार लीटर प्रतिदिन एथनाल उत्पादन क्षमता की आसवनी तथा लॉजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) की स्थापना की जाएगी मंत्रिपरिषद ने जनपद मथुरा में वर्ष 2009 से बंद छाता की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेक्स की स्थापना का निर्णय लिया है। आधुनिक इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेक्स के अन्तर्गत 03 हजार टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की नई चीनी मिल स्थापित की जाएगी, जिसे 4,900 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता तक विस्तारित किया जा सकेगा।
छाता में इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेक्स स्थापित करते हुए रिफाइंड शुगर उत्पादन के साथ, केन जूस/सी-हैवी/बी-हैवी से 60 हजार लीटर प्रतिदिन एथनाल उत्पादन क्षमता की आसवनी तथा लॉजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) की स्थापना भी की जाएगी। चीनी मिल के बाई-प्रोडक्ट्स शीरा, बैगास तथा प्रेसमड का बेहतर उपयोग कर आय के अतिरिक्त स्रोत सृजन से मिल लाभ अर्जित करेगी तथा गन्ना मूल्य भुगतान में सुगमता होगी।
इण्टीग्रेटेड शुगर काॅम्प्लेक्स की स्थापना एवं छाता चीनी मिल की पेराई क्षमता के विस्तार से मिल परिसर के निकटवर्ती परिधि (20 किलोमीटर) में आने वाले क्षेत्र के लगभग 50 हजार गन्ना किसान लाभान्वित होंगे। इससे किसानों की आय लगभग दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करते हुए गन्ना किसानों के परिवार से जुड़े लगभग 02 लाख सदस्यों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी।
छाता के इंटीग्रेटेड शुगर कॉम्प्लेक्स में चीनी मिल, आसवनी एवं लॉजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) की स्थापना से क्षेत्रीय जनता को 1,500 प्रत्यक्ष तथा 6,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होगें। इससे क्षेत्र के लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान होगा। साथ ही मिल क्षेत्र में जलपान गृह, भोजनालय, जनरल स्टोर तथा ट्रैक्टर-ट्रक आदि की मरम्मत की वर्कशॉप खुलने लगेंगी जिससे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास संभव हो सकेगा। गन्ना विकास के फलस्वरूप अगोला एव पत्ती इत्यादि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होगी, जिससे ब्रज क्षेत्र में चारे की समस्या का एक सीमा तक निदान हो सकेगा ।
चीनी मिल की क्षमता बढ़ने से एक पेराई सत्र में लगभग 40-50 लाख कुन्तल गन्ने की पेराई होगी, जिससे मिल क्षेत्र के किसानों के गन्ने की ससमय आपूर्ति सुनिश्चित होगी। अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान से जीवन स्तर में सुधार होगा। छाता चीनी मिल दिल्ली-मथुरा राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एन0एच0-02 पर मथुरा से 43 कि0मी0 तथा गुरुग्राम से 100 कि0मी0 पर स्थित है। परियोजना के अन्तर्गत आधुनिक तकनीक का ब्वॉयलर, जीरो लिक्विड डिस्चार्ज एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण के प्रबन्ध किये जाने से पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आसवानी की स्थापना होने से भारत सरकार की नीति के अनुसार एथनॉल बलेंडिंग कार्यक्रम सुगम होगा। इससे क्रूड ऑयल न खरीदने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी। आसवनी के ब्वॉयलर की राख से पोटाश ग्रेन्यूल बनाये जायेगें, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
छाता इण्टीग्रेटेड शुगर काम्प्लेक्स के अन्तर्गत चीनी मिल तथा आसवनी से उत्पादित होने वाले उत्पादों के विक्रय एवं लाजिस्टिक पार्क (वेयर हाउसिंग) के किराये से राज्य सरकार एवं भारत सरकार को लगभग 1,000 लाख रुपये प्रतिवर्ष का राजस्व प्राप्त होगा।