सीएए के विरुद्ध दायर याचिका को भजनलाल शर्मा सरकार वापस लेगी।

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  • विपुल लखनवनी ब्यूरो प्रमुख पश्चिमी भारत

भारत में चुनाव में कई बार लोग वोट डालने नहीं जाते, ऐसे लोगों का तर्क होता है कि एक वोट से क्या फर्क पड़ता है। जबकि चुनाव में एक एक वोट की कीमत होती है। एक वोट के महत्व का अर्थ राजस्थान में मौजूदा भाजपा सरकार के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दायर याचिका को वापस लाना है। यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 2020 में जब सीएए कानून बनाया, तब राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। चूंकि कांग्रेस की नीति तुष्टीकरण वाली रही इसलिए गहलोत सरकार ने राजस्थान में सीएए को रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। ताकि पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर प्रताड़ित होकर आए हिंदुओं, सिखों, और ईसाइयों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकेे। जबकि अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में भी हजारों हिंदू शरणार्थी बनकर रह रहे थे। गहलोत को ऐसे हिंदू शरणार्थियों की पीड़ा की जानकारी भी थी, लेकिन फिर भी गहलोत ने सीएए के खिलाफ याचिका दायर की। चूंकि प्रदेश की जनता ने वोट के माध्यम से कांग्रेस की सरकार को हटाकर भाजपा की सरकार बनवा दी, इसलिए अब भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार ने उस याचिका को वापस लेने का निर्णय लिया है, जिसे गहलोत ने दायर करवाया था। नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन फिर भी रोड अटकाने के लिए गहलोत सरकार ने याचिका दायर की थी। चूंकि अब राजस्थान में भी भाजपा की सरकार है, इसलिए पाकिस्तान से आए हिंदुओं को आसानी के साथ नागरिकता मिल जाएगी। यदि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत होती तो सुप्रीम कोर्ट से सीएए के खिलाफ याचिका वापस नहीं लिया जाता। कांग्रेस सरकार इस बात का पूरा प्रयास करती है कि प्रताड़ित हिंदुओं को नागरिकता नहीं मिले। मतदाता जो वोट देता है, उसका बहुत मह व होता है। पाकिस्तान के प्रताड़ित हिंदुओं को नागरिकता मिलने का श्रेय भी राजस्थान के मतदाताओं को है। अब लोकसभा का चुनाव होना है। ऐसे में मतदाताओं को सोच विचार कर वोट देना चाहिए। एक-एक वोट का मूल्य है। आज देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की भी जरूरत हे। अब ऐसी ताकतें सक्रिय हो गई है जो सनातन धर्म को नष्ट करना चाहती है तथा दक्षिण राज्यों को अलग देश बनाने की मंशा रखती है।