आर्य टीवी डेस्क। कहते हैं अगर आमदनी सीमित हो और खर्चे असीमित हो जाएं तो आर्थिक पहिया बेपटरी हो जाता है। ठीक इसी तर अगर संसाधन की अपेक्षाकृत जनसंख्या दूनी गति से बढ़ने लगे तो बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी और सामाजिक अपराध जैसी समस्याएं जन्म लेने लगती हैं। आज भारत का हाल भी कुछ ऐसा ही है। भारत की जनसंख्या में हर साल लगभग ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर जनसंख्या वृद्धि हो जाती है।
जनसंख्या के मामले में आज हम चीन के बाद दूसरे नंबर पर हैं। आंकड़े बताते हैं कि अगर अभी इसको रोका न गया तो 2030 तक हम पहले स्थान पर होंगे। हालांकि इसको लेकर प्रयास होते रहे हैं पर शायद वे सब नाकाफी हैं। यहीं कारण हैं कि भारत जैसे देश में जनसंख्या वृद्धि एक खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। भले ही हम विश्व के सबसे ज्यादा युवा वाला देश होने का दावा करते हैं पर एक सच यह भी कि ये युवा रोजगार के लिए दर दर भटक रहे हैं। बेरोगारी का दंश झेल रहे हैं।
कोरोना जैसी महामारी ने आज पूरे विश्व को चपेट में ले लिया है। आज वह देश भी इससे कराह उठे हैं जो आबादी में हमसे कई गुना कम और संसाधनों में कई गुना अधिक बेहतर हैं। अमेरिका, चीन, इटली जैसे सामर्थ्यवान देश आज इसके सामने नतमस्तक हैं। जरा सोचिए अगर यह बीमारी भारत में चौथे स्टेज पर पहुंच जाए तो स्थिति क्या होगी? सोचकर ही डर लगने लगता है। पिछले डेढ़ महीने से देश में लॉकडाउन है। आर्थिक हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। इस बीच एक बार फिर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर चर्चा तेज हो गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने ट्वीट कर कहा है कि “भारत जैसे बड़े और घनी आबादी वाले देशों को विशेष रूप से जनसंख्या नियंत्रण के विषय पर सुविचारित कदम उठाने होंगे। अन्यथा हमारे देश में ऐसी आपदाओं के भीषण परिणाम हो सकते हैं।” अब सवाल यह है कि कोरोना से जूझ रहा भारत इस आने वाले संकट को लेकर अब भी सचेत होगा या फिर नहीं।
तीन बीवियां और 20 बच्चों वाले हजारों परिवार: साध्वी प्राची
वहीं विश्व हिन्दू परिषण की फायरब्रांड नेता साध्वी प्राची ने राष्ट्रपति के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि हमारे प्रेसिडेंट ने बिल्कुल ठीक बात कही है। हर समस्याओं की मूल में जनसंख्या ही है। तीन तीन बीवियां और 20 से अधिक बच्चे ऐसे हजारों परिवार आज भारत में हैं। साध्वी ने कहा कि अब समय आ गया है जब इस समस्या को लेकर आवाज उठाई जाए। साध्वी ने कहा कि कोरोना को अभी कल की बीमारी है। बेतहाशा बढ़ती जनसंख्या दसकों से भारत की समस्या रही है। इसलिए इस पर अब नियंत्रण अति आवश्यक है।
मोदी जी पर है पूरा भरोसा: साध्वी प्राची
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर देश की जनता को पूरा भरोसा है। जैसे उन्होंने अनुच्क्षेद 370, नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, नागरिकता संसोधन कानून जैसे तमाम मामलों में सख्त कदम उठाए। वैसे ही एक दिन जनसंख्या वृद्धि को लेकर वह बड़ा ऐलान करेंगे। साध्वी ने कहा कि देश को बचाने के लिए ये करना बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि जनसंख्या किसी भी देश के विकास के लिए सबसे बड़ा अवरोध है।
अतीत से नहीं लिया गया सबक
आजादी के समय हमारे देश की आबादी 33 करोड़ थी। जो कि 2011 की जनगणना के आंकड़ों के लिहाज से बढ़कर 121.27 करोड़ हो गई है। यह इजाफा भारत जैसे विकासशील देश के समक्ष कई समस्याओं और चुनौतियों को भी जन्म दे रहा है। हालांकि इसको लेकर पहल भी कई प्रयास किए गए । स्वतंत्र भारत में दुनिया का सबसे पहला जनसंख्या नियंत्रण हेतु राजकीय अभियान वर्ष 1951 में आरंभ किया गया। किंतु इससे सफलता नहीं मिल सकी। इंदिरा गांधी के शासनकाल में 1975 के आपातकाल के दौरान बड़े स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास किये गए,लेकिन स्थिति सही नहीं हो सकी। देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसी स्थिति को संबोधित करते हुए स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस समस्या को दोहराया था। अब देखना यह है कि वर्तमान सरकार इसको लेकर कब तक कोई बड़ा फैसला ले पाएगी।
ब्रिटिश अर्थशास्त्री माल्थस की जनसंख्या वृद्धि पर व्याख्या
‘प्रिंसपल ऑफ पॉपुलेशन’ में जनसंख्या वृद्धि और इसके प्रभावों की व्याख्या की है। ब्रिटिश अर्थशास्त्री माल्थस के अनुसार, ‘जनसंख्या दोगुनी रफ्तार (1, 2, 4, 8, 16, 32) से बढ़ती है, जबकि संसाधनों में सामान्य गति (1, 2, 3, 4, 5) से ही वृद्धि होती है। परिणामतः प्रत्येक 25 वर्ष बाद जनसंख्या दोगुनी हो जाती है। हालाँकि माल्थस के विचारों से पूर्णतय: सहमत नहीं हुआ जा सकता किंतु यह सत्य है कि जनसंख्या की वृद्धि दर संसाधनों की वृद्धि दर से अधिक होती है।