- विपुल लखनवी ब्यूरोप्रमुख पश्चिमी भारत
अभी इज़राइल हमास युद्ध को लगभग 25 दिन हुए हैं और इस युद्ध ने इजराइल की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव दिखना शुरू कर दिया है।
95 लाख जनसँख्या वाले राष्ट्र में से लगभग 3,60,00 रिज़र्व सैनिकों ( भारत के अग्निवीर की तरह) को युद्ध के लिए बुला लिया गया है। यह सभी सैनिक किसी उद्यम – जैसे कि कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, रेस्टोरेंट, होटल, ट्रांसपोर्ट, आईटी, रिसर्च, संचार, स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्तीय संस्था इत्यादि – में कार्य कर रहे हैं।
इससे स्पष्ट है इतने लोगों के एक साथ कार्य छोड़कर युद्ध में जुट जाने से अर्थव्यवस्था में ठहराव आ जाना स्वाभाविक है।
परिणाम यह हो रहा है कि इजरायली मुद्रा, शेकेल, की विनिमय दर गिरने लगी। इजराइल के रिज़र्व बैंक ने कहा कि मुद्रा को स्थिर करने के लिए वह अपने 200 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार से 30 बिलियन डॉलर (लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए) तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेच देगा।
अब युवा लोग युद्ध में लग रहे हैं तब अर्थव्यवस्था ठहरना स्वभाविक है, यानि इजराइल के टैक्स कलेक्शन में भी कमी। लेकिन सरकार का खर्च एकाएक बढ़ गया है। परिणाम यह होगा कि आने वाले समय में इजराइल पर लोन का बोझ बढ़ेगा; मंहगाई बढ़ेगी। अनुमान है कि जीडीपी में 2 से 3 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
इजराइल रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद अधिकतर भारत से, एवं अन्य अमेरिका, रूस एवं सिंगापुर से आयात करता है। जबकि गैस के विषय में राष्ट्र अब लगभग आत्मनिर्भर है।
अब आप विचार करें अगर भारत को भी युद्ध की विभीषणा से जूझना पड़ जाए, तो उस स्थिति में क्या होगा?
एकाएक अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी, रुपया गिरने लगेगा, मंहगाई बढ़ जायेगी, टैक्स का कलेक्शन कम हो जाएगा, कच्चे तेल एवं गैस की आपूर्ति में बाधा आ सकती है। बिना संसाधन के फ्री का माल बांटनेवाले कई राज्य यहां पर विपक्ष की सरकारी हैं या कांग्रेस की सरकारी हैं और जो इस समय दिवालिया होने के कगार पर हैं उनके पास अपने कर्मियों को वेतन देने का भी पैसा भी नहीं होगा। अभी जब सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है तब कर्नाटक जैसी सरकार जहां पर चुनाव के पहले राहुल गांधी ने बेल्लारी के जींस पार्क के लिए 5000 करोड़ की लागत से निर्माण की योजना का वायदा किया था उसको तो ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। साथ में अन्य नई योजनाओं को भी दफना दिया गया। क्योंकि मुफ्त में मुस्लिम तुष्टीकरण के वोट के लिए बिजली पानी मकान लोन इत्यादि देने से सरकार घाटे में चल रही है इसलिए विकास के सारे कार्यक्रम रोककर केवल अपने नेता के वायदे को आधा अधूरा पूरा करने का प्रयास कर रही है। यही हाल आंध्र प्रदेश में भी है और राजस्थान भी डूबता उतराता रहता है।
मुफ्त का वायदा कितना अधिक प्रदेश की जनता को नुकसान पहुंचता है इसका उदाहरण के समाचार आ रहे हैं कर्नाटक के लोग सीमा पार कर विभिन्न राज्यों में जाकर कांग्रेस के झूठे वादों को न मानने की अपील कर रहे हैं।
अब आप 600 बिलियन डॉलर से अधिक के विदेशी मुद्रा भंडार के महत्व को समझ चुके होंगे। क्योंकि वर्तमान सरकार विश्व की अस्थिर अवस्था को इससे उत्पन्न संकट को भांप चुकी है इस कारण वह सभी प्रयास कर रही है कि भारत की ग्रोथ स्टोरी आगे बढ़ती रहे और इसके साथ विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता रहे। जो संकट के समय काम आएगा। लेकिन देश की विपक्ष विश्व की सबसे खराब और बदनियत विपक्ष है जो सरकार को अस्थिर करने के लिए लोगों को भड़का रही है। इसके अलावा भारत गृह युद्ध की ओर चला जाए इसके लिए भी प्रयास कर रही है। वर्तमान में कांग्रेस ने हमास के आतंकवादियों का समर्थन देकर यह स्पष्ट कर दिया कि वह वोट के लिए आतंकवादियों को भी कतर देश की तरह बना देने में पीछे नहीं रहेगी। इसलिए सभी आतंकवादी मिलकर कांग्रेस की सहायता कर रहे हैं जिससे उनको खुली छूट मिल सके।
अब आप भारत के पास लगभग 75 दिन के स्ट्रेटजिक आयल रिज़र्व का महत्व समझेंगे। अर्थात, किसी संकट के समय तेल की आपूर्ति बंद होने के बाद भी भारत अपनी आवश्यकता ढाई माह तक पूरी कर सकता है। यह रिज़र्व तब बनाया गया, जब कच्चे तेल का दाम सस्ता था। भारत इस कच्चे तेल के भंडारण की क्षमता को भी बढ़ाने की पूरी कोशिश कर रहा है। ढाई माह भी तब, जब कहीं और से तेल न मिले। अब आप अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बावजूद रूस से अच्छे संबंधों का महत्व समझेंगे।
अब आप अग्निवीर के महत्व को समझें जो कुछ ही वर्षों में देश में फ़ैल जाएंगे, उद्यमों से जीवनयापिका करेंगे, और किसी संकट के समय अपनी सेवाएं प्रदान करने की स्थिति में होंगे। आप सम्पूर्ण रेल ट्रैक के विद्युतीकरण का महत्व समझें। कारण यह है कि भारत में कोयला प्रचुरता से उपलब्ध है। यद्यपि हमारे कोयले की गुणवत्ता अच्छी नहीं है, फिर भी उसे जला कर बिजली पैदा की जा सकती है। अर्थात, किसी भी युद्ध या तेल संकट के समय भी हमारी रेल व्यवस्था चालू रहेगी। अब आप पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल की ब्लेंडिंग के महत्व को भी समझें। क्योंकि कच्चे तेल का आयात कम होने से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर स्थिर रहेगा।
कुछ इसी प्रकार आप मेक इन इंडिया के महत्व को समझें भारत में निर्मित हथियार एवं आयुध का महत्व समझें। साथ ही आप सीमाओं पर उत्तम सड़कें, इंफ्रास्ट्रक्चर के महत्व को समझें। आप डिजिटल भुगतान का महत्व समझें क्योकि भारत अंतर्राष्ट्रीय पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि वीज़ा, मास्टर कार्ड, स्विफ्ट इत्यादि के भरोसे नहीं रहेगा। किसी भी संकट की अवस्था में यह सब यदि भारतीयों को लाक कर दें तो भारत का सारा पैसा गूगल पे जैसी सिस्टम के पास अथवा पेटीएम जैसी चीन समर्थित कंपनियों के पास अटक जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत न केवल तीव्र प्रगति कर रहा है, बल्कि राष्ट्र को आने वाले संकट एवं युद्ध के लिए भी तैयार कर रहा है। वहीं राहुल, लालू पुत्र, ममता, पवार, केजरीवाल इत्यादि रेवड़ी बांटने में व्यस्त हैं। आखिरकार आंतरिक एवं वाह्य संकट एवं सुरक्षा से उनका क्या लेना-देना? यह कार्य तो मोदी सरकार का है और इसकी महत्ता आम जनता भी धीरे धीरे समझती जा रही है।