जब पहली बार ऑडिशन नहीं पास कर पाए थे अनूप जलोटा

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(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश संगीत नाटक एकेडमी द्वारा आयोजित अवध महोत्सव में मुंबई से पधारे अनूप जलोटा जी की प्रस्तुति ने समा बांध दिया कार्यक्रम के अगले दिन आर्य टीवी के सांस्कृतिक एनलिस्ट डॉ अनिल त्रिपाठी  ने उनसे बदलते  सांस्कृतिक परिदृश्य पर बातचीत की यहां प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के संपादित  अंश

प्रश्न अपनी संगीत यात्रा के विषय में कुछ बताएं
अनूप मैंने अपनी कला यात्रा लखनऊ से शुरू की और भातखंडे में वर्ष 1989 मैं निपुण की परीक्षा पास की और मुंबई चला गया वहां शिर्डी के साईं बाबा नाम की एक फिल्म में गीत गाया उसी दौरान ऐसी लागी लगन टी सीरीज से रिलीज हुआ और उसे अपार सफलता मिली
प्रश्न  रेडियो और दूरदर्शन के कार्यक्रमों के दर्शक कम होते जा रहे हैं इस पर आपका क्या कहना है
अनूप आकाशवाणी तो कमाने वाला बेटा है हां दूरदर्शन जरूर अपनी प्रतिष्ठा  खो  रहा है! प्रसार भारती में रहते हुए मुझे इस बात का अनुभव है की आकाशवाणी के श्रोता कम नहीं हुए ड्राइव करते हुए लोग आज भी रेडियो सुनते हैं मैं आपको बताऊं की मैंने पहली बार आकाशवाणी लखनऊ से सुगम संगीत में ऑडिशन दिया तो मैं फेल हो गया उसके बाद आकाशवाणी इलाहाबाद से दोबारा ऑडिशन दिया और टॉप ग्रेट तक पहुंचा आकाशवाणी लखनऊ में शायद मैंने केवल एक रिकॉर्डिंग की थी मेरे साथ उस वक्त के कई प्रसिद्ध संगीतकार जैसे विनोद चटर्जी एच बसंत नियाजी साहब और राधा बल्लभ चतुर्वेदी जी ने काम किया है! मेरा ज्यादातर समय आकाशवाणी मुंबई में बीता जहां मैंने कोरस गाने से शुरुआत की! उस वक्त मुझे ₹320 महीना मिलता था
प्रश्न क्या आपने कभी लोकगीत गाए हैं
अनूप मैं तो अपनी धोने लोक गीतों से ही बनाता हूं मेरा गाया गीत पिंजरे का तोता और दही बेचन मैं जाऊं रे आदि गीत लोक गीतों से ही प्रभावित है लोकगीत शास्त्रीय संगीत के जन्मदाता है
प्रश्न आप जैसे कलाकार ऐसी स्थिति में है की वे लोकगीतों की स्थिति खासतौर से अवधी लोक गीतों की स्थिति सुधारने के लिए कदम उठा सकते हैं इस विषय में आप क्या कर रहे हैं
अनूप मैंने अभी ही मालिनी अवस्थी जी से लोकगीतों को लेकर चर्चा की है और जल्दी ही हम इस विषय में कुछ ठोस करने जा रहे हैं  जिसकी सूचना हम जल्द ही आपको देंगे
मैं एक आशावादी व्यक्ति हूं और उम्मीद करता हूं कि हम आपके प्रयासों से अवधी को एक नई दिशा प्रदान करेंगे
68 वर्ष की उम्र के अनूप जलोटा जी आज भी उतने ही ऊर्जावान हैं जितना वे स्वयं को इस वर्ष की उम्र में महसूस करते थे  आज भी अपनी सांसों पर उनका पूरा नियंत्रण है और भी  वे मंच पर घंटों प्रस्तुति दे सकते हैं जैसा कि उन्होंने 1 दिन पहले अकादमी की कंसल्ट में दिया! आर्य टीवी को दिए इस साक्षात्कार के पश्चात भी उसी दिन अयोध्या मैं आयोजित  कार्यक्रम के लिए प्रस्थान कर गए