अयोध्या में मंदिर के लिए आर्किटेक्ट का डिजाइन तैयार होने में दो सप्ताह लगेंगे

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश में राम की नगरी अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक शुक्रवार को खत्म हो गई। बैठक में मौजूद पदाधिकारियों के मुताबिक मंदिर की नींव की आर्किटेक्ट डिजाइन तैयार होने में 15 दिन से ज्यादा समय लग सकता है। इस बीच नींव की खुदाई का काम जारी रहेगा। नींव की डिजाइन L&T और TCS की इंजीनियरिंग टीमें तैयार कर रही हैं। मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि नींव के लिए मलबा हटाने का काम शुरू हो गया है। पूरे मंदिर क्षेत्र की खुदाई 40 फीट गहरी होगी, जिस पर नींव खड़ी की जाएगी।

समयबद्ध निर्माण को लेकर हुआ मंथन

उन्होंने बताया कि नींव के लिए मलबा हटाने के काम में करीब 70 दिन लगेंगे उसके बाद पत्थरों वे अन्य मेटेरियल से नींव की भराई का काम शुरू होगा। नींव की खुदाई कई लेयर में होगी। इसमें यह भी ध्यान रखा जाएगा कि कहां खुदाई की जरूरत नहीं है। अब मंदिर की नींव का निर्माण कार्य इसकी खुदाई के साथ शुरू हो गया है। दो दिनों की बैठक में यह भी तय हुआ कि समयबद्ध तरीके से निर्माण कैसे होगा। साथ ही एक साथ कितने काम चल सकते है।

मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरि ने बताया कि निर्माण समिति की बैठक एक तरह से अब तक के निर्माण कार्य की समीक्षा बैठक होती है।जिसमें निर्माण कार्य की खामियों व आगे के कार्यक्रम की समीक्षा होती है।

ट्रस्ट का चंदा लेने का कार्यक्रम कब तक चलेगा?

राम मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 15 जनवरी से चंदा लेना शुरू किया है। इस अभियान को राम मंदिर निधि संकल्प संग्रह अभियान नाम दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सबसे पहले चंदा देकर इस अभियान की शुरुआत की। कोविंद ने चेक के जरिए 5 लाख 100 रुपए का चंदा दिया।

इस अभियान में पांच लाख से ज्यादा गांवों के 12 करोड़ से ज्यादा परिवारों तक पहुंचने का टारगेट है। 27 फरवरी तक चलने वाले अभियान की हर रोज समीक्षा की जा रही है, ताकि चंदे के नाम पर कोई फ्रॉड नहीं हो। इसके बाद भी कुछ जगहों से मंदिर के नाम पर चंदा उगाही के मामले सामने आए हैं।

मंदिर निर्माण में 1100 करोड़ रुपए खर्च होंगे

मंदिर की अनुमानित कीमत 1100 करोड़ रुपए बताई जा रही थी। नींव का प्लान अब बदला जाएगा। इससे लागत में फर्क आएगा। ऐसे ही भविष्य में क्या योजनाएं लागू होती हैं, उससे लागत और बढ़ सकती है। लागत बढ़ने पर चंदा अभियान फिर चलाया जा सकता है। कोषाध्यक्ष गोविन्द देव गिरी कहते हैं अभी के लिहाज से मंदिर की अनुमानित लागत 1500 करोड़ रुपए तक हो सकती है। वहीं, चंपत राय का कहना है कि अभी कोई सीमा नहीं है कि इसकी लागत कितनी होगी। मंदिर बनने के बाद इसका विस्तार भी होना है। अगर चंदा कम इकट्ठा होता है तो चंदा लेने का कार्यक्रम दोबारा भी चलाया जाएगा।