कोरोना वायरस लगातार बदल रहा है जीनोम, इस तरह बना शिकार

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बरेली (www.arya-tv.com) कोरोना वायरस लगातार जीनोम (जीनों का समूह) बदल रहा है। संक्रमण पहले जहां अधिकांशत: बुजुर्गों और बच्चों को शिकार बना रहा था। वहीं, अब जीनोम बदलने के बाद आरएनए बेस का यह वायरस युवाओं को तेजी से चपेट में ले रहा है।

नई संरचना के वायरस ने पिछले दस दिनों में जितने लोगों को चपेट में लिया है, उनमें से 68 फीसद से ज्यादा युवा कोरोना संक्रमण का शिकार हुए हैं। आइवीआरआइ के संयुक्त निदेशक (कैडरेड) डॉ.केपी सिंह ने बताया कि हर वायरस के बदलते स्वरूप के साथ इसके शिकार का प्रारूप भी बदलता है।

इसी वजह से उम्र वर्ग और संक्रमण के लक्षणों में भी परिवर्तन आता है। कोविड -19 वायरस के केस में भी कुछ ऐसा ही है। हैदराबाद में कोरोना वायरस के व्यापक असर पर शोध भी हो रहा है। जिसका एक हिस्सा प्रकाशित भी हो चुका है।

47 केस, इनमें 32 युवा संक्रमित

पिछले दस दिनों में कोरोना संक्रमण के 47 केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 32 युवा कोरोना संक्रमित मिले हैं। यानी कोरोना संक्रमण के शिकार लोगों में करीब 68 फीसद युवा रहे। इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के केवल दो केस मिले हैं। वहीं, शेष वृद्धजन कोरोना संक्रमण के शिकार बने।

फरवरी के बाद से बढ़ रहा है संक्रमण

आंकड़े बताते हैं कि 25 फरवरी के बाद से कोरोना संक्रमण एक बार फिर बढ़ने लगा है। खासकर मार्च आने के बाद संक्रमित लोगों की संख्या एक बार फिर से दहाई अंक तक पहुंच गई है। चार मार्च को 11 केस, पांच मार्च को 12 केस और सात मार्च को 10 कोरोना संक्रमित केस सामने आए हैं।

देश में अभी तक 7,648 वेरिएंट्स सामने आ चुके

सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने हाल में जारी अपने शोध पत्र में बताया कि कोविड-19 वायरस के अभी तक 7,648 वेरिएंट्स सामने आ चुके हैं। यानी, वायरस का जीनोम साढ़े सात हजार से ज्यादा बार बदला।

22 राज्यों के 35 प्रयोगशालाओं में एक करोड़ से ज्यादा कोविड पॉजिटिव केस में करीब 6400 केस की स्क्रीनिंग में ये बात सामने आई है। डॉ.केपी सिंह बताते हैं कि एक केस स्क्रीनिंग में एक से ज्यादा बार जीनोम में बदलाव हो सकता है।

अध्ययन में यह भी देखा जाएगा कि बदलते जीनोम में कैसी-कैसी संरचना प्रोटीन पर असर डालती है और इंसान के लिए कितनी नुकसानदायक है। हालांकि अभी महज 0.6 फीसद केस स्क्रीनिंग हुई है। जबकि निष्कर्ष निकालने के लिए करीब पांच फीसद मामलों की स्क्रीनिंग होनी है।