सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई लताड़, तीन प्रमुख मुद्दों पर दिए दिशा निर्देश

Lucknow
Vishal Saxena

(www.arya-tv.com)एक एक शब्द पर आपको गौर करना पड़ेगा, अगर सरकार की नीति काम नहीं कर रही और सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़े तो इस बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती।

आइए आपको बताते है की कौन से तीन प्रमुख मुद्दे सुप्रीम कोर्ट ने उठाए:

पहला: ऑक्सीजन की अतिरिक्त सप्लाई बनाए।

दूसरा: अस्पतालों में भर्ती की एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए।

तीसरा: जो लोग सोशल मीडिया में मदद मांग रहे हो या मदद कर रहे हो उन्हें परेशान न किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा 3 मई तक दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जाए और अगले दो दिनों में दिल्ली को ऑक्सीजन दी जाए।

दिल्ली देश की राजधानी है और दिल्ली का हाल यह है की 900 मैट्रिक टन की जरूरत है और ऑक्सीजन 550 मैट्रिक टन मिल रही है, आपको ध्यान होगा अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री दल की बैठक को लाइव प्रसारण कर दिया था और बताया था कि किस तरह हरियाणा सरकार ऑक्सीजन सप्लाई में बाधा डाल रही है और बाकी स्टेट से भी ऑक्सीजन की पूरी सप्लाई नहीं मिल रही है, यहां भी दिल्ली वालों को शायद इस बात की सजा मिल रही है कि दिल्ली वालों ने रूलिंग पार्टी को वोट नहीं दिया, राजनीत सिर्फ यहां खत्म नहीं होती, सुप्रीम कोर्ट के फटकार के बाद भी ज्यादा कोई बदलाव देखने को नहीं मिला, सोचिए दिल्ली वो जगह है जो देश की राजधानी है, जहां खुद पीएम और सारे राजनेता रहते है, दिल्ली का हाल यह है तो बाकी जगहों के हाल की कल्पना भी नहीं कर सकते।

फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा:

केंद्र सरकार को राज्य सरकार के साथ मिलकर ऑक्सीजन का बफर स्टॉक बनाए और इस पर अपने नियंत्रण को पूरी तरह से खत्म करें।

यह क्या बोल रही है अदालत, अदालत यह बोल रही है की ऑक्सीजन पर आपने काबू करके रखा है, इसको खत्म करो। राज्य के साथ मिलकर नीति बनाओ, एक साल बाद भी हम यही बात कर रहे है, goverance नाम की कोई चीज नहीं है और सुप्रीम कोर्ट हम सबको आइना दिखा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर जो लोग मदद कर रहे है या मदद दे रहे है, अगर उनको परेशान किया गया तो अदालत ऐसी सरकारों और पुलिस पर कारवाही करेगी और इस मामले में सभी चीफ सचिवों और पुलिस अफसरों को जानकारी दी जाए।

अब सुप्रीम कोर्ट को ऐसा क्यों कहना पड़ रहा है, क्योंकि हाल में अमेठी के युवक के खिलाफ FIR दर्ज हुई क्योंकि वह अपने दोस्त के नाना के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग कर रहा था, हालाकि बाद में FIR वापस ले लिया गया, इसको सुप्रीम कोर्ट ने अपने संज्ञान में लिया।

कितने शर्म की बात है, कि कोई किसी की मदद कर रहा हो तो उसके नाम पर FIR करा दो, यह अंधेर नगरी नही तो और क्या है और आज सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है इस बात पर, इससे बड़ी त्रासदी और कोई नही हो सकती।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार अदालत को 10 मई तक बताएगी कि ऊपर दिए गए दिशा निर्देशों पर क्या कार्यवाही की है।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मौजूदा टीकाकरण नीति कमजोर तबके के लोगों के लिए ठीक नहीं है क्योंकि वो लोग टीके की कीमत नहीं दे पाएंगे, अदालत ने राज्यों और सरकारों के लिए टीके की कीमत में फर्क पर भी सवाल उठाया। यह फर्क क्यों, आज साल भर बाद भी अगर सुप्रीम कोर्ट के ऐसे तेवर है तो क्यों, पर आज भी कोई कुछ नही सिख रहा है, सिर्फ राजनीत कर रहे है कि हमें जो सही लगेगा वो करेगे अगर दम है तो रोक लो। आज सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ गया, जो काम सरकार का है,वह सुप्रीम कोर्ट कर रही है।

हम कहां है और किस तरफ जा रहे है, किसी को कोई अंदाजा नहीं है, दोस्तो हमें खुद जागरूक होने की जरूरत है, हमें अपने अधिकारों को समझना होगा और जागरूक बनाना होगा।

इधर उत्तर प्रदेश में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को फटकार लगाई। दोस्तो, इस टॉपिक पर कल के बुलेटन में आपको विस्तृत जानकारी देगे।

दूसरो की मदद करे और जागरूक बने।

  • विशेष संवाददाता विशाल सक्सेना की स्पेशल रिर्पोट