पीएम मोदी से ऐसी दुश्मनी कि भारत को बदनाम करने में जुट गए ट्रूडो? निज्जर तो बस बहाना है

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(www.arya-tv.com)  खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के ठीक तीन महीने बाद कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने संसद के एक आपातकालीन सत्र में घोषणा की कि निज्जर की मौत में ‘भारतीय एजेंटों’ की संलिप्तता के ‘विश्वसनीय आरोप’ हैं, और एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को ‘हत्या’ में उनकी कथित भूमिका के लिए निष्कासित करने का आदेश दिया।

हरदीप सिंह निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स चीफ और वैंकूवर के सरी में गुरु नानक सिख गुरुद्वारा का प्रमुख था। गौर करने वाली बात यह है कि ट्रूडो ने ‘विश्वसनीय आरोपों’ की बात की, न कि ‘विश्वसनीय सबूतों’ की। तीन महीने का लंबा वक्त बीत गया है, लेकिन हत्या की जांच को लेकर कनाडाई एजेंसियों ने कोई सार्वजनिक खुलासा नहीं किया है।

इस मामले में किसी भी महत्वपूर्ण प्रगति का कोई सबूत सार्वजनिक नहीं हुआ है। हालांकि ट्रूडो का बयान आगे की जांच को दिशा जरूर दे सकता है। गौरतलब है कि ट्रूडो ने यह आरोप नई दिल्ली में 9-10 सितंबर को आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद स्वदेश लौटकर लगाया है। नई दिल्ली में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा में चरमपंथी तत्वों को भारत विरोधी गतिविधियों में साथ देने को लेकर उनसे कठोर शब्दों में बात की थी।

बहरहाल, भारत ने ऐसे घटनाक्रमों से उसे जोड़ने के किसी भी प्रयास को सिरे से खारिज कर दिया है। इसके बाद जब कनाडाई पीएम को अपने विमान में तकनीकी कठिनाइयों के कारण शिखर सम्मेलन के समाप्त होने के बाद लगभग दो दिनों तक नई दिल्ली में ही रुकने को मजबूर होना पड़ा तो ट्रूडो को भारतीय अधिकारियों ने भी तरजीह नहीं दी क्योंकि उन्होंने कनाडा वापसी में भारत की मदद की पेशकश भी ठुकरा दी थी।

इसके तुरंत बाद कनाडा ने अक्टूबर 2023 में भारत के लिए निर्धारित एक ट्रेड मिशन को ‘स्थगित’ करने की घोषणा कर दी। जवाब में भारत ने कनाडा के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर चल रही बातचीत को निलंबित करने का ऐलान कर दिया। दरअसल, ‘विश्वसनीय आरोप’ ट्रूडो और मोदी के बीच तेजी से निजी होते जा रहे संघर्ष का अगला चरण जैसा दिख रहा है।

ट्रूडो के पूर्व सलाहकार जोसेलिन कूलन के एक बयान से यह बिल्कुल साफ हो जाता है, जिसमें उन्होंने कहा कि कनाडा के आरोप का ‘दुनियाभर में एक बम के प्रभाव’ जैसा असर होगा। इस बात से साफ है कि ये निराधार आरोप भारत को बदनाम करने के एक सुनियोजित अभियान का हिस्सा हैं। कूलसन ने आगे कहा कि भारत अब ‘उन देशों के समूह में शामिल हो जाएगा ।

जो विदेश में राजनीतिक विरोधियों की हत्या करते हैं’, जैसा कि सऊदी अरब ने 2018 में तुर्की में बैठे अपने पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का इंतजाम किया था। यह दावा कितना खोखला है, यह हर उस व्यक्ति को पता होगा जो निज्जर और खशोगी, दोनों मामलों से परिचित है। एक तरफ खशोगी मामले में साफ सबूत हैं। सऊदी कॉन्स्युलेट में खशोगी को यातना देकर उनकी हत्या करने का सीसीटीवी फुटेज और ऑडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध हुआ।

दूसरा, खशोगी एक असंतुष्ट पत्रकार थे, जिनका किसी भी तरह से आपराधिक गतिविधियों या समूहों से कोई संबंध नहीं था। दूसरी ओर, निज्जर पूरी तरह अलग दुनिया का व्यक्ति था। निज्जर बिल्कुल शातिर राजनीति और आपराधिक संगठनों के साथ संलिप्त था। भारतीय अधिकारियों ने पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों और टार्गेटेड मर्डर में शामिल होने के आरोप तो लगाए ही हैं, निज्जर लंबे समय से कनाडा में अक्सर हिंसक गुरुद्वारा पॉलिटिक्स से भी जुड़ा रहा है।

यह सबको पता है कि उसने लॉजिस्टिक्स और लोगों के लिए गैंगस्टर अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डल्ला से हाथ मिलाया था ताकि पंजाब में ऑपरेशनों को अंजाम दिया जा सके। निज्जर का 1985 के कनिष्क बॉम्बिंग के मुख्य आरोपी रिपुदमन सिंह मलिक के साथ लंबे समय से टकराव चल रहा था। कनिष्क बॉम्बिंग केस में 329 लोग मारे गए थे, साथ ही जापान में दूसरे विस्फोट में दो लगेज हैंडलरों की जान चली गई थी।

हाल के वर्षों में, मलिक का विचार बदल गया और उसने खालिस्तान आंदोलन की आलोचना की। उसने पाकिस्तान की तरफ संकेत करते हुए साफ-साफ आरोप लगाया कि निज्जर ‘एक विदेशी सरकार की कुछ एजेंसियों के इशारे पर काम कर रहा है’। निज्जर ने 23 जनवरी, 2022 को सरी के गुरु नानक सिख गुरुद्वारा में मलिक के खिलाफ घंटे भर से ज्यादा भाषण दिया, जिसमें उसे ‘कौम का गद्दार’ और ‘एजेंट’ बताया, और कहा कि उसे ‘सबक सिखाया जाना चाहिए।

‘ 22 जून, 2022 को मलिक की हत्या बिल्कुल गैंगवॉर स्टाइल में की गई। मलिक का भी गैंग से संबंध था। वह प्रमुख रूप से रामिंदर सिंह ‘मिंडी’ भंडेर से जुड़ा था जो एक हत्या के मामले में कोर्ट से दोषी साबित हो चुका गैंगस्टर है। भंडेर कनिष्क बॉम्बिंग केस में मलिक का गवाह भी था। यहां यह याद रखना जरूरी है कि भारतीय एजेंसियों पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाना दो अन्य खालिस्तानी चरमपंथियों, पाकिस्तान में परमजीत सिंह पंजवार (6 मई) और यूके में अवतार सिंह खांडा (15 जून) की हत्या से जुड़ी कंस्पिरेसी थ्योरी का ही हिस्सा है।

इन तीनों मामलों में से सिर्फ खांडा केस की ही ठीक से जांच की गई जिसमें उसकी मौत प्राकृतिक कारणों से होने की बात सामने आई। हालांकि, खालिस्तानियों खांडा की मौत का जिम्मेदार भारतीय एजेंसियों को ठहराया था। हिंदुत्ववादियों ने भी ऐसा ही दावा करते हुए सीना चौड़ा किया था। लेकिन जैसे ही जांच रिपोर्ट सामने आई सारे दावे हवा हवाई हो गए।

यदि अन्य दो मामलों में बिना किसी ठोस प्रमाण के ‘विश्वसनीय आरोप’ बने रहते हैं, तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि पाकिस्तान और कनाडा की सकारें भारत के प्रति संदेह पनपने देने की मंशा रखती हैं जिससे उनकी अपनी ही एजेंसियों की अक्षमता भी साबित होगी। निज्जर का बैकग्राउंड देखते हुए उसके अपने ही आपराधिक संगठनों, उसकी खतरनाक गुरुद्वारा पॉलिटिक्स, उसके संगठित आपराधिक संबंधों और यदि भारतीय अधिकारियों की बातों पर विश्वास किया जाए तो पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता का शिकार होने के ‘अधिक विश्वसनीय आरोप’ होंगे।