महिला आरक्षण विधेयक में क्या हैं वो शर्तें जो विपक्ष को खटक रही हैं, जान लीजिए

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(www.arya-tv.com) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नई संसद में पहला विधेयक महिला आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पेश किया है। विपक्ष इसकी सराहना तो कर रहा है, लेकिन ‘शर्तों’ के साथ। दरअसल, विपक्ष नारी शक्ति वंदन विधेयक के मसौदे में दो-तीन शर्तों को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है। दिल्ली के सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी (AAP) ने तो सीधा-सीधा आरोप ही मढ़ दिया कि मोदी सरकार दरअसल महिलाओं को आरक्षण नहीं उन्हें धोखा देने के लिए यह बिल लाई है।

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी एक एक्स पोस्ट में बताया है कि किस तरह विधेयक की शर्तों के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनावों में महिला आरक्षण की प्रावधान लागू नहीं हो पाएगा। आइए जानते हैं कि नारी शक्ति वंदन विधेयक में आखिर वो कौन सी शर्तें हैं जिन्हें दिखाकर विपक्ष मोदी सरकार से सवाल कर रहा है।

128वां संविधान संशोधन का प्रस्ताव

दरअसल, विधेयक का पांचवां प्रावधान कहता है, ‘संविधान के अनुच्छेद 334 के बाद यह अनुच्छेद जोड़ा जाएगा- 334ए(1)। इस भाग या भाग VIII के पूर्ववर्ती प्रावधानों में किसी बात के होते हुए भी, लोकसभा में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने से संबंधित संविधान के प्रावधान, किसी राज्य की विधानसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा, इस प्रयोजन के लिए परिसीमन का प्रयोग किए जाने के बाद लागू होंगे।

संविधान (128वां संशोधन) अधिनियम, 2023 के प्रारंभ होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद महिला आरक्षण लागू होगा और पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति पर बंद हो जाएगा।’

नारी शक्ति वंदन विधेयक की शर्तें डिकोड

➤ इस प्रावधान के मुताबिक, महिलाओं के लिए आरक्षण नई जनगणना के बाद परिसीमन होगा, उसके बाद महिला आरक्षण लागू किया जा सकेगा। मतलब महिला आरक्षण के लागू होने की राह में अब भी दो रोड़े हैं- पहला जनगणना और दूसरा परिसीमन।
➤ इससे संकेत मिलता है कि महिला आरक्षण का प्रावधान 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही लागू हो पाएगा।
➤ इसमें कहा गया है कि आरक्षण शुरू होने के 15 साल बाद प्रावधान प्रभावी होना बंद हो जाएंगे। विपक्ष को इस बात पर भी ऐतराज है कि आखिर महिला आरक्षण के लिए 15 वर्ष की अवधि ही क्यों सीमित रखी गई है।
➤ नारी शक्ति वंदन विधेयक में यह भी कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें भी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
➤ विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।

आम आदमी पार्टी का मोदी सरकार पर हमला

बहरहाल, आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा, ‘विधेयक के प्रावधानों को गौर से पढ़ने पर पता चलता है कि यह ‘महिला बेवकूफ बनाओ’ विधेयक है।

‘ विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा। विधेयक के अनुसार, प्रत्येक परिसीमन प्रक्रिया के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की अदला-बदली होगी।

परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को क्यों शामिल किया गया है? इसका मतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा। हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को हटाया जाए तथा 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए।

कांग्रेस ने समझाई महिला आरक्षण विधेयक की क्रोनोलॉजी

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट में महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझाई है। एक्स पर एक पोस्ट के जरिए पार्टी ने कहा कि पीएम मोदी ने चुनाव से पहले एक जुमला फेंका है और कुछ नहीं।