चीन की मुश्किल बढ़ी तो भारत के हाथ लगा 30 अरब डॉलर का जैकपॉट! यहां जानिए डिटेल

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(www.arya-tv.com) भारत को इकॉनमी के मोर्चे पर एक और अच्छी खबर मिली है। अमेरिकन फाइनेंसर और इन्वेस्टमेंट बैंकर जेपी मॉर्गन (JP Morgan) ने भारत के सरकारी बॉन्ड को अपने बेंचमार्क इमर्जिंग-मार्केट इंडेक्स में शामिल करने का फैसला किया है। करीब दो साल तक भारत को वॉचलिस्ट में रखने के बाद फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म ने यह फैसला किया है।

भारत सरकार के बॉन्ड्स को 28 जून 2024 से गवर्मेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट में शामिल किया जाएगा। भारत 10% वेटेज के साथ इस ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होगा। इससे भारत के लिए उधार लेने की लागत (cost of borrowing) घटेगी और घरेलू डेट मार्केट में करीब 30 अरब डॉलर का निवेश आने की संभावना है।एमर्जिंग मार्केट्स में भारत का बॉन्ड मार्केट तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है।

इसका मार्केट कैप 1.2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है। यह इंडोनेशिया के मुकाबले तीन गुना और ब्राजील के बराबर है। भारत के सरकारी बॉन्ड्स (G-Secs) की हिस्सेदारी दो फीसदी से भी कम है जो दूसरे एमर्जिंग मार्केट्स की तुलना में काफी कम है। रूस के इस लिस्ट से बाहर होने और चीन में संकट से दुनिया के डेट इन्वेस्टर्स के लिए कम ही विकल्प रह गए हैं।

इस लिस्ट में भारत को शामिल किए जाने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ सकता है।भारत को इस इंडेक्स में शामिल किए जाने से रुपये को स्थिर करने में मदद मिलेगी। साथ ही ब्याज दरों में कटौती और बॉन्ड यील्ड में कमी आएगी। इससे कॉस्ट ऑफ बोरोइंग में कमी आएगी और कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।

क्या-क्या फायदा होगा

एयूएम कैपिटल के नेशनल हेड (वेल्थ) मुकेश कोचर ने कहा कि इससे देश में बेस रेट में बदलाव होगा और यील्ड में भारी कमी आनी चाहिए। इससे भारत के लिए उधार लेने की लागत कम होगी। कॉस्ट ऑफ बोरोइंग बढ़ने से कोरोना काल से ही भारत में राजकोषीय घाटा बढ़ा हुआ है। अब इसमें कमी होनी चाहिए क्योंकि बोरोइंग का एक बड़ा हिस्सा इस रूट से आएगा।

इससे रुपये को भी फायदा होगा क्योंकि सरकारी बॉन्ड्स की खरीद के लिए विदेशी पैसा आएगा। यह बैंक, एनबीएफसी जैसी कंपनियों के लिए पॉजिटिव है। कुल मिलाकर यह भारत के लिए फायदे का बड़ा सौदा है। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसे को दिखाता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने भी फैसले कहा कि यह भारत की क्षमता और ग्रोथ संभावनाओं पर दुनिया के भरोसे को दिखाता है।

जैसे भारतीय इक्विटी मार्केट्स में निवेश पर निवेशकों को लाभ हुआ है, उसी प्रकार भारत सरकार के बॉन्ड में भी लंबी अवधि के निवेशकों को फायदा होगा। जानकारों का कहना है कि रूस के इंडेक्स से बाहर जाने और चीन में दिक्कतों के चलते डेट मार्केट में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए ऑप्शन सीमित हो गया है। इस फैसले से भारत के बॉन्ड मार्केट को मजबूती मिलेगी।