रंगमहल जहां कौशल्या ने सीता की मुंहदिखाई की रस्म की:घूंघट डालकर भगवान की आरती करते हैं संत

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(www.arya-tv.com) अयोध्या के ऐतिहासिक रंग महल में मां सीता की मुंह दिखाई की रस्म हुई थीlइसके बाद इस महल को कौशल्या ने सीता जी को मुंह दिखाई के उपहार में दे दियाl इस मंदिर में सीता जी प्रधानता है और भगवान श्रीराम के दूल्हा स्वरूप की पूजा की जाती हैlइस मंदिर के संत अपने आपको सीता जी की सखी मानते हैं।

रंग महल में माता सीता की उपासना का प्रमुख केंद्र है

अयोध्या में 8हजार से ज्यादा मंदिर हैंl इनमें ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से पवित्र मंदिर रंग महल है। मंदिर का वतर्मान भवन करीब 300 वर्ष पुराना है जहां की उपासना बहुत ही महत्वपूर्ण हैl भगवान श्रीराम की जन्म स्थली से सटे रंग महल की पौराणिकता खास हैl श्रीरामजन्मभूमि में जहां श्रीराम की उपासना होती है वही पास का रंग महल में माता सीता की उपासना का प्रमुख केंद्र हैl

मंदिर के महंत रामशरण दास ने बताया कि जब माता सीता भगवान श्रारीम के साथ विवाह के बाद अयोध्या पहुंची तो इस मंदिर में सीता की मुंह दिखाई रस्म कौशल्या माता ने किया था।उस समय बसंत का उत्सव चल रहा था इसलिए इस मंदिर का नाम रंग महल दिया गया था। जिस तरह जनकपुर में मां सीता की पूजा अर्चना की जाती है, ठीक उसी प्रकार इस मंदिर में भी रंग महल मंदिर में स्थित भगवान राम और माता सीता की पूजा यहां के पुजारी एक सखी का रूप धारण कर करते है।उन्होंने बताया कि पहले रंगमहल कौशल्या के कुल गुरू रंगजी का महल थाl

सरयू गाय रोज करती है रामलला की परिक्रमा

इस स्थान में रहने वाले संत रसिक सम्प्रदाय के माने जाते हैl तथा इस मंदिर में एक खास यह कि इस मंदिर के पीछे सरयू गाय रोज परिक्रमा करती है और हर परिक्रमा के बाद रामजन्मभूमि की तरफ सर झुकाकर प्रणाम भी करती है। यह गाय जिस स्थान की परिक्रमा करती है यह आज भी एक रहस्य बना हुआ हैl जिसके बारे में वर्षों से रह रहे संत तथा महंत भी नहीं जानते है। आज भी इस गाय को देखने के लिए लोग दूर दूर से अयोध्या पहुंचते है।

मंदिर की स्थापना सरयू शरण महाराज ने की थी

रंग महल मंदिर की महत्ता का वर्णन करते हुए महंत राम शरण दास ने बताया कि मंदिर की स्थापना सरयू शरण महाराज ने की थीlउन्हें लोग सरयू सखी के नाम से भी जानते हैंl उनके लिखे पद आज भी अयोध्या के मंदिरों में गाए जाते हैंl यहां पर इस मंदिर में अयोध्या के विशेष उत्सव सावन झुला ,सीता राम विवाह ,राम नवमी और बसंत पंचमी का मनाया जाता है तथा जानकी नवमी का भी प्रमुख रूप से मनाया जाता है।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम चारो भैया और चारो महारानी के विग्रह

उन्होंने बताया कि हमारे मंदिर की परम्परा में माथे पर तिलक के बाद बिंदी लगाई जाती हैl यहां की आरती परम्परा में सखी की तरह पुजारी घूंघट डाल कर आरती किया जाता हैl मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम चारो भैया और चारो महारानी के विग्रह हैंl सावन में एक माह का झूलन उत्सव तथा माह के दोनों एकादशी पर भव्य फूलों की झांकी होती हैl