कानपुर में जरायम का दूसरा नाम पप्पू स्मार्ट, पिता गांठते थे जूते-चप्पल और बेटे ने बनाई करोड़ों की संपत्ति, मामा छज्जू कबूतरी से सीखा अपराध

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(www.arya-tv.com) लंबे इंतजार के बाद आखिर नगर निगम के बुलडोजर ने कुख्यात अपराधी पप्पू स्मार्ट द्वारा नाले पर बनाई गई आठ दुकानों को ध्वस्त कर दिया। यह तो केवल एक शुरुआत है, असल में पप्पू स्मार्ट की आधा दर्जन से अधिक संपत्तियों पर पुलिस और जिला प्रशासन की नजर है । सबसे बड़ी बात यह है कि पप्पू स्मार्ट के पास आज जो कुछ भी है वह सब जरायम की अवैध कमाई से है। आज से 22 साल पहले इसके पिता मोची का काम किया करते थे। धीरे-धीरे पप्पू और इसके भाइयों ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो राजनीतिक संरक्षण मिलने की वजह से वह आगे ही बढ़ता चला गया। इस दौरान जो भी उसके सामने आया इसने उसे बेरहमी के साथ चुप करा दिया।

आसिम उर्फ पप्पू स्मार्ट के जरायम की कुंडली जब दैनिक जागरण ने खंगाली तो कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं। इस समय पप्पू स्मार्ट और इसके भाइयों के पास करोड़ों की संपत्तियां हैं, लेकिन आज से 22 साल पहले पप्पू स्मार्ट और उसके चारों भाई आमिर बिच्छू, शोएब पप्पी और तौसीफ कक्कू अपने पिता मोहम्मद सिद्दीकी की हरजेंदर नगर चौराहे पर स्थित मोची की दुकान पर बैठकर हाथ बटाते थे। पप्पू का मामा रियाजुद्दीन और छज्जू कबूतरी अनवरगंज का हिस्ट्रीशीटर था और अपने जमाने में बड़ा ड्रग्स तस्कर माना जाता था। छज्जू कबूतरी से ही चारों भाइयों ने अपराध का ककहरा सीखा। और सबसे पहले इसका शिकार हुआ चौराहे पर रहने वाला एक सरदार परिवार, जिसके घर के सामने इनकी मोची की दुकान थी।

21 साल पहले कोहना में दर्द हुआ था पहला मुकदमा : पप्पू स्मार्ट के खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 2001 में कोहना थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ था। उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 336, 436 व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें सबसे गंभीर धारा 436 है, जिसमें किसी भी उपासना स्थल या घर को विस्फोट से उड़ा देना या आग से जला देने का अपराध बनता है। दोषी पाए जाने पर अपराधी को 10 वर्ष के आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। सपा शासनकाल में पप्पू स्मार्ट को पूरा राजनीतिक संरक्षण मिला, यहां तक कि पुलिस विभाग में तैनात कई आइपीएस पप्पू स्मार्ट के मुरीद बने।