अब घर बैठे श्रीमद्भगवद्गीता प्राप्त करें : गर्वित भारत

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नवी मुंबई। ग्रामीण आदि रिसर्च एंड वेदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित द्वारा विगत दिनों अपने ट्रस्ट के सदस्यों के साथ हुई एक चर्चा में यह निर्णय लिया गया कि आधुनिक समय में श्रीमद्भागवत गीता का प्रचार और प्रसार बेहद आवश्यक है। क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता में बिना किसी भेदभाव अथवा वर्ण की बात करते हुए मात्र जगत कल्याण की और स्वयं अपने कल्याण की बात को समझाया गया है। इसके अतिरिक्त पूरे विश्व के सभी धर्मों को संप्रदाय को अथवा पंथ को भगवत गीता के द्वारा समझा जा सकता है। इस कारण संपूर्ण मानव मात्र को समर्पित यह पुस्तक निश्चित रूप से हर भारतीय को ही नहीं अपितु विश्व के हर व्यक्ति को पढ़नी चाहिए और समझने का प्रयास करना चाहिए। जिससे कि वह जीवन पथ पर सफलतापूर्वक चल सके। वास्तव में श्रीमद्भगवद्गीता की महानता का वर्णन करना वाणी के द्वारा संभव नहीं है क्योंकि यह एक दर्शन और कर्म से संबंधित परम रहस्यमयी ग्रंथ है इसमें सभी वेदों का सार संग्रह दिया गया है इसका आशय इतना गंभीर है की आजीवन अभ्यास करने पर भी उसका अंत नहीं होता प्रतिदिन नए भाव उत्पन्न होते हैं और यह सदैव नवीन बना रहता है। जिसको यह समझ में आ जाता है वह इसको सदैव पढ़ता रहता है। नई-नई जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त करता रहता है। अधिकतर ग्रंथ में कुछ न कुछ सांसारिक विषय रहते हैं किंतु श्रीमद्भगवद्गीता में कोई भी सांसारिक चर्चा नहीं है। सिर्फ और सिर्फ आत्म कल्याण और समाज के कल्याण के लिए निर्देश दिए गए और समझाया गया।

इच्छुक व्यक्ति 9969680093 नंबर पर व्हाट्सएप पर अपना नाम पता भेजें। उनको पोस्ट के द्वारा गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्रीमद्भगवद्गीता गुटखा साइज में निशुल्क भेजी जाएगी। प्रयास यह किया जाएगा कि यह किसी भी भारतीय भाषा में बांटी जा सके। इस कार्य हेतु जो जनमानस आगे आना चाहते हैं वे कृपया गर्वित को सहयोग कर सकते हैं।