- सड़क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु को न्यूनतम करने के लिए ठोस प्रयास करने पर जोर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज यहां उनके सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक सम्पन्न हुई। इस अवसर पर उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं और दुर्घटनाओं में असामयिक मृत्यु को न्यूनतम करने के लिए ठोस प्रयास करने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शीत ऋतु का असर प्रारंभ हो चुका है। कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का मौसम है। इस अवधि में सड़क दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। सड़क दुर्घटना में किसी की असामयिक मृत्यु अत्यंत दुःखद है। इसे न्यूनतम करने के लिए हमें जागरूकता, शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर पर फोकस करते हुए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वाधिक वाहन दुर्घटनाओं वाले शीर्ष 05 राज्यों में सर्वाधिक वाहन उत्तर प्रदेश में पंजीकृत हैं। प्रदेश में वाहनों की संख्या वर्ष 2011 में 1.33 करोड़ थी, जो वर्तमान में 4.55 करोड़ है। सतत जागरूकता के प्रयासों का ही असर है कि सड़क दुर्घटनाओं में कमी के दृष्टिगत वर्ष 2021 के सापेक्ष वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश तृतीय स्थान से चतुर्थ स्थान पर आ गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य राजमार्गों पर दुर्घटनाओं में भी 02-02 प्रतिशत की कमी आयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सड़क दुर्घटना में होने वाली एक भी मृत्यु प्रदेश की क्षति है। यह अत्यंत दुःखद है। सर्वाधिक दुर्घटनाओं वाले शीर्ष 30 नगरों में विगत 03 वर्षों में सड़क दुर्घटना में औसत मृतकों की संख्या 20,990 प्रति वर्ष रही है। इसे न्यूनतम करने के लिए सरकार, प्रशासन और जनता सभी को मिलकर काम करना होगा। यातायात नियमों का पालन कराने के लिए चालान अथवा अन्य एनफोर्समेंट की कार्यवाही स्थायी समाधान नहीं है। हमें जागरूकता पर बल देना होगा। आगामी 15 दिसंबर से 31 दिसंबर तक की अवधि को ‘सड़क सुरक्षा पखवाड़े’ के रूप में मनाया जाए। गृह, परिवहन, पी0डब्ल्यू0डी0, बेसिक, माध्यमिक शिक्षा, एक्सप्रेस-वे/हाइवे, प्राधिकरण आदि के बेहतर समन्वय के साथ इस पखवारे को सफल बनाना होगा। इस सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार कर लें। अद्यतन यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के साथ कठोरता करें। जरूरत के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस रद करने और वाहन सीज करने की भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पीड ब्रेकर निर्माण करते समय लोगों की सुविधा का ध्यान भी रखें। स्पीड ब्रेकर कमरतोड़ू नहीं, टेबल टॉप हों। बुजुर्गों, बच्चों, महिलाओं, मरीजों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े। खराब डिजाइनिंग की वजह से अक्सर लोग स्पीड ब्रेकर के किनारे से वाहन निकालने का प्रयास करते हैं, जिससे दुर्घटना भी होती है। ब्लैक स्पॉट के सुधारीकरण, स्पीड मापन, त्वरित चिकित्सा सुविधा, सी0सी0टी0वी0 आदि व्यवस्था को और बेहतर करने की जरूरत है। सम्बन्धित प्राधिकरणों को इस दिशा में गम्भीरता से विचार करते हुए कार्य करना होगा। शोध-अध्ययन बताते हैं कि एक्सप्रेस-वे पर ज्यादातर दुर्घटनाएं भोर के समय में होती हैं। एक्सप्रेस-वे पर एम्बुलेंस, कैमरों, साइनेज और क्रेन की संख्या और बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। यहां पब्लिक यूटिलिटी और बेहतर किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यातायात नियमों के पालन के लिए विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। ट्रैफिक नियमों के पालन का संस्कार बच्चों को शुरुआत से ही दिया जाना चाहिए। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में प्रातःकालीन प्रार्थना के दौरान बच्चों को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक किया जाए। माध्यमिक विद्यालयों में निबंध लेखन/भाषण प्रतियोगिता का आयोजन हो। इससे बच्चों और किशोरों में यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। स्कूली वाहनों/चालकों का नियमित अंतराल पर फिटनेस टेस्ट कराया जाए।