लोकसभा चुनाव 2024: यूपी में अहीर और यादव चालीसा, गानों में जाति और सियासत के कॉकटेल से कितना नफा?

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(www.arya-tv.com) समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मशहूर बिरहा गायक काशीनाथ यादव ने अपने यूट्यूब चैनल काशीनाथ एंटरटेनमेंट पर एक वीडियो शेयर किया है। वीडियो अहीर चालीसा का है।

इस वीडियो के कई राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने राजनीतिक विश्लेषकों से समझने की कोशिश किया कि इस तरह के जातीय अस्मिता के गीत, सियासी दलों को लाभ दिलाने में कामयाब रहते है।

अहीर चालीसा को लेकर एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने काशीनाथ यादव से बातचीत की। उन्होंने बताया कि यह चालीसा किसी और ने लिखा है और किसी और ने गाया है। उन्होंने सिर्फ इसे अपने यूट्यूब चैनल पर पोस्ट करने के बाद शेयर किया है।

सपा सुप्रीमो अखिलेश ने की तारीफ

एनबीटी के एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अहीर चालीसा को लेकर उनका कोई मत ऐसा नहीं है जिसे वह मीडिया से साझा करें।हालांकि, पिछले दिनों वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने काशीनाथ यादव के बिरहा गायन की सराहना की थी।

क्या जातीय गीतों का असर?

इस तरह से जातीय आग्रहों वाले कंटेंट के जमीनी स्तर पर पड़ने वाले सियासी प्रभाव को समझने के लिए एनबीटी ऑनलाइन की टीम ने सामाजिक विश्लेषक डॉक्टर शम्मी से संपर्क किया।

शम्मी के अनुसार ऐसे गीत समाज के कुछ जातियों और वर्गों को लेकर सिर्फ प्रतीकात्मक साबित होते है। इनका सीधे तौर पर कोई राजनीतिक प्रभाव का मूल्यांकन करना कठिन है।

क्या सियासी दलों को होगा फायदा?

नेताओं और पार्टी की खूबी गिनाने और जताने के लिए तरह तरह के गीतों की रचना और उसका गायन पूर्व में भी होते रहा है। अब अहीर चालीसा को सोशल मीडिया पर शेयर करने से जातीय विशेष की राजनीति करने वाली सियासी दलों को सीधे वोट के रूप में कोई सियासी लाभ होगा ,ऐसा दावा नहीं किया जा सकता।