लोकसभा चुनाव 2024: फिर मचा EVM पर घमासान, बैलेट या ईवीएम? समझिए केंद्र सरकार के पास क्या है रास्ता, इन देशों में बैन

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पांच राज्यों के आए नतीजों के बाद एक बार फिर से विपक्ष ने अपनी हार ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा है। सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए बैलेट से चुनाव कराने की मांग की है।

हालांकि ईवीएम पर बीजेपी भी 2009 में सवाल खड़े कर चुकी है। लेकिन 2014 में केंद्र की सत्ता में आने के बाद से बीजेपी खुलकर ईवीएम से चुनाव कराने के पक्षधर रही है। वहीं अब जब 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, विपक्ष बैलट से चुनाव की मांग कर रहा है।

विपक्ष का कहना है कि जिस मशीन में चिप है, उसे हैक किया जा सकता है। साथ ही यह भी कहना है कि जब दुनिया के सबसे ताकतवर देश में बैलेट से चुनाव हो सकता है, तो हमारे देश में क्यों नहीं।

वहीं राजनीतिक विश्लेषक ने लोकतंत्र का हवाला देते हुए कहा कि जब समूचा विपक्ष बैलेट से चुनाव की मांग कर रहा है तो केंद्र सरकार को एक बार ईवीएम की जगह बैलट से चुनाव करा देना चाहिए। ताकि विपक्ष की आंशका दूर हो सके।

सैकड़ों चुनाव ईवीएम से हुए

दरअसल देश में पहले बैलेट से ही चुनाव होता था, लेकिन 1982 में पहली बार केरल के एक विधानसभा चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था। फिर 1999 में लोकसभा चुनाव के दौरान कही कही ईवीएम का इस्तेमाल किया गया।

यानी 2004 के पहले तक ईवीएम और बैलेट दोनों से चुनाव कराया जाने लगा, लेकिन 2004 लोकसभा चुनाव का ईवीएम से कराया था। अब पूरे देश में ईवीएम के जरिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं।

2004 से 2019 तक 4 लोकसभा चुनाव ईवीएम से हुए हैं। इसमें 2 बार कांग्रेस और 2 बार बीजेपी जीती है। वहीं एक दावे के अनुसार अब तक 100 से ज्यादा विधानसभा चुनाव ईवीएम से कराए जा चुके है।

विपक्षी बैलेट पर अड़े

वहीं जैसे जैसे चुनाव में बीजेपी की जीत और विपक्षी दलों की हार हो रही है, वैसे वैसे ईवीएम पर सवाल उठने लगे हैं। बैलट से फिर से चुनाव कराने जाने की मांग उठने लगी है। सपा मुखिया अखिलेश यादव समेत तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं ने ईवीएम पर निशाना साधते हुए बैलेट से चुनाव कराने की मांग की है।

अखिलेश ने कहा कि दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका में बैलेट से वोट डाला जाता है। 140 करोड़ लोग देश का भविष्य तय करते हैं। आप तीन घंटे या दो घंटे में नतीजे क्यों चाहते हैं। इसलिए हमारा विचार है कि मतदान मतपत्र के माध्यम से होना चाहिए।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि कम से कम एक चुनाव बैलेट पेपर से कराया जाना चाहिए, ताकि आशंका दूर हो सकें।

बीजेपी के नेता भी उठा चुके हैं सवाल

पं. बंगाल सीएम ममता बनर्जी भी ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से मतदान कराने की मांग कर चुकी है। कांग्रेस, आप समेत कई दल भी ईवीएम पर सवाल खड़े कर चुके हैं।कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भी दावा किया कि जिस भी मशीन में चिप होती है, उसे हैक किया जा सकता है।

इतना ही नहीं, बीजेपी वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी 2009 में पुरानी पद्धति से (बैलट से) से चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं।इसको लेकर एक बीजेपी नेता ने एक किताब डेमोक्रेसी एट रिस्क! कैन वी ट्रस्ट अवर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन?’ भी लिखी थी।

इसके अलावा बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी साल 2009 में दावा किया था कि ईवीएम के जरिए वोटों का होलसेल फ्रॉड संभव है। हालांकि ईवीएम को हैक करने के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कुछ साल पहले राजनीतिक दलों को हैक करने की चुनौती दिया था, लेकिन उस समय कोई दल इस चुनौती को स्वीकार नहीं कर पाया था।

हिमाचल और कर्नाटक में क्यों हुई हार

वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद गोस्वामी ने कहा कि ईवीएम को लेकर पहले भी विपक्षी पार्टियों द्वारा सवाल उठाए गए है। चुनाव आयोग ने इसको लेकर पार्टियों को अपना दावा साबित करने का समय भी दिया था, लेकिन तब कोई भी पार्टी इस दावे को साबित नहीं कर पाई थी।

उन्होंने कहा कि सिर्फ आरोप लगा देना ठीक नहीं है क्योंकि यह कोई छोटी बात नहीं है। अगर आरोप लगा रहे हैं तो लॉजिकली प्रूव करना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि अगर ईवीएम से छेड़छाड़ संभव होती तो हिमाचल और कर्नाटक समेत अन्य चुनाव बीजेपी क्यों हार गई।

उन्होंने कहा कि विपक्ष अगर चुनाव जीत जाए तो ईवीएम सही और हार जाए तो ईवीएम खराब है ये ठीक नहीं है।

विपक्ष के लिए एक रास्ता

प्रमोद गोस्वामी ने आगे कहा कि अगर मान भी लिया जाए कि ईवीएम में छेड़छाड़ हो सकती है, लेकिन उसके लिए उसे साबित करना होगा। यह कैसे यह संभव है। उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ के दावे सिर्फ विपक्षी पार्टियां कर रही है कोई एक्सपर्ट नहीं।

अगर कोई टेक्निकल इस बात को कहे तो माना भी जा सकता है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि कोई बीए पास इंसान कैंसर पीड़ित का इलाज कैसे कर सकता है। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि सालभर में 2-3 चुनाव होते है, ऐसे में ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से चुनाव कराना महंगा पड़ेगा।\

इसके साथ ही प्रमोद गोस्वामी ने कहा कि अगर कोई गड़बड़ी नहीं है तो केंद्र सरकार को चाहिए कि इस बार का लोकसभा चुनाव बैलेट से करा दें, ताकि विपक्षी की आशंका दूर हो सके। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में भी यही है कि अगर समूचा विपक्ष बैलेट से चुनाव की मांग कर रहा है तो सरकार को बैलेट से चुनाव करा देना चाहिए।

किन देशों में ईवीएम बैन

भारत समेत कई देशों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा ब्राजील, मालदीव, नामीबिया, नेपाल, भूटान मिस्र, फिलीपींस, बेल्जियम, एस्टोनिया, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला और जॉर्डन में किया जा रहा है।

वहीं अमेरिका समेत कई देशों में बैलट से वोटिंग होती है जबकि कई देश में ईवीएम को बैन कर दिया गया है। इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और अमेरीका में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होता है। इटली ने नतीजे बदले जाने की आशंका पर बैन लगा दिया है।

जर्मनी, इंग्लैंड और फ्रांस में कभी ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हुआ है, जबकि नीदरलैंड और इटली में ईवीएम पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है।

क्या होता है ईवीएम और बैलेट

बताते चले कि पोस्टल बैलेट की शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी। यह एक तरह का पेपर वॉलेट होता है। जो वोटर मतदान केंद्र पर आकर वोट नहीं डाल पाते हैं, वो पोस्टल बैलेट के जरिए वोट डालते हैं।

इसमें चुनाव के दौरान ड्यूटी करने वाले कर्मचारी, जवान, दिव्यांग और 80 के ऊपर के बुजर्ग शामिल होते हैं। इनकी संख्या पहले से फिक्स होती है। वहीं ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। ईवीएम को दो यूनिटों कंट्रोल यूनिट और बैलट यूनिट से तैयार किया गया है।

इन यूनिटों को केबल से एक दूसरे से जोड़ा जाता है। ईवीएम की कंट्रोल यूनिट पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है। बैलेटिंग यूनिट को मतदाताओं द्वारा मत डालने के लिए वोटिंग कंपार्टमेंट के भीतर रखा जाता है।

ईवीएम के साथ मतदान पत्र जारी करने के बजाए, मतदान अधिकारी बैलेट बटन को दबाएगा, जिससे मतदाता अपना मत डाल सकता है। इसके बाद वोटर अपने पसंदीदा कैंडिडेट और उसके चुनाव चिह्न के सामने लगे नीले बटन को दबाकर वोट डालता है।