गर्वित द्वारा गुजराती लोहाणा समाज बालकों को बाल गीत पुस्तक वितरण

Lucknow
  • गर्वित द्वारा गुजराती लोहाणा समाज बालकों को बाल गीत पुस्तक वितरण

नवी मुंबई। कोपर खैराने स्थित डी मार्ट के सामने लोहाना समाज के पांच मंजिला भवन में गर्मी की छुट्टियों में बच्चों हेतु समर कैंप कम वर्कशॉप आयोजित की गई। एक हफ्ते तक चलने वाली इस कैंप में लगभग 125 बच्चों ने मात्र ₹500 शुल्क पर भाग लिया। 7 दिन चलने वाले इस कैंप में बच्चों को जीवन के विभिन्न कलात्मक आयामों की शिक्षा दी गई और समझाया गया।

अंतिम दिवस बच्चों ने परफॉर्मेंस की और इस अवसर पर अभिवाभकों सहित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के पूर्व वैज्ञानिक डॉ भागवत, वैज्ञानिक – गर्वित के ट्रस्टी अध्यक्ष सनातन चिंतक विपुल लखनवी, लोहाना समाज के अध्यक्ष संजय पालन, उपाध्यक्ष अनसूया बेन चोथानी, अहो मां ट्रस्ट की अध्यक्ष दिव्या कोटक, लोहाणा समाज ट्रस्ट के अन्य अधिकारी, कई गणमान्य भी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम को लोहाना समाज के युवाओं ने स्वयं आयोजित किया और संचालित किया। इस कार्यक्रम को भावना केसरिया, कविता राजपुरिया, प्रीति सोमैया, विकी कोटक, स्नेहा कोटक, राधा ठक्कर, गायत्री ठक्कर, रीना ठक्कर, भाविका कारिया, निधि पालन, निधि जमुलिया, नीपा चंदन ने अपना योगदान दिया।

ज्ञात हो नवी मुंबई के प्रसिद्ध गुजराती एडवोकेट मोहन भाई ठक्कर के नेतृत्व में वाशी में गुजराती भवन और खोपरखैरने में लोहाना समाज भवन इत्यादि का निर्माण किया गया था। इस अवसर पर विपुल लखनवी ने वर्ष 1995 – 96 में वाशी स्थित गुजराती भवन के नींव कार्यक्रम अवसर पर आयोजित किए गए अपने कवि सम्मेलन को याद करते हुए स्मरण बताया, किस प्रकार गुजरात के मुख्यमंत्री इस भवन के उद्घाटन के लिए आए थे उनको भी याद किया। इस अवसर पर गर्वित ट्रस्ट के माध्यम से भाग लेने वाले सभी बच्चों को विपुल जी द्वारा निशुल्क रंग-बिरंगे कलेवर में रंगी बालगीत पुस्तक “विपुल के ५१ बाल गीत” उपहार स्वरूप भेंट की गई।

विपुल जी ने आगे बताया यह पुस्तक इसलिए अद्वितीय है क्योंकि इस पुस्तक में भारत के महापुरुषों पर बालगीत लिखे गए हैं और जो कहीं से भी आरंभ कर कहीं पर अंत किया जा सकते हैं और उनके अर्थ पूरे हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त आज का बच्चा अंग्रेजों द्वारा लिखे गए 8 -10 कविताओं को याद कर बड़ा हो जाता है और इन कविताओं में बच्चों को झूठ बोलना भी सिखाया जाता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया “ईटिंग शुगर नो पापा टेलिंग लाई हाहाहा”। यह कविता बच्चों के मन में झूठ के प्रति आकर्षण पैदा करती है। इस कारण विपुल जी ने बच्चों में देशप्रेम, भारतीय धरोहर का ज्ञान, महापुरुषों और पर्यावरण से संबंधित आसपास से संबंधित विषयों पर ध्यानाकर्षण करते हुए सुंदर बालगीत लिखे और अपने धन से पुस्तक मुद्रित की।