‘कैश बरामद नहीं हुआ तो इसका मतलब ये नहीं कि भ्रष्‍टाचार…’, कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत खारिज कर और क्‍या-क्‍या कहा, जानें

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(www.arya-tv.com) दिल्ली के आबकारी नीति घोटाला (Delhi Excise Policy Case) मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कैश बरामद न होने का मतलब ये नहीं कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ होगा. कोर्ट ने कहा कि कैश की रिकवरी को प्रथम दृष्टया सबूत नहीं माना जा सकता, जबकि टेक्नोलॉजी के इस दौर में अपराधी बिना कोई निशानी छोड़े अपराध को अंजाम देता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस मामले में कई आरोपी हों, उसमें यह नहीं मान सकते कि किसी विशेष व्यक्ति के पास से कैश की बरामदगी हो ही.

हाईकोर्ट ने मंगलवार (22 मई) को मनीष सिसोदिया की दो याचिकाएं खारिज कर दी थीं और बुधवार को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर कोर्ट का पूरा आदेश अपलोड किया गया. जस्टिस स्वर्णाकांता शर्मा ने मामले में सुनवाई करते हुए मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दीं.

मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए क्या बोला दिल्ली हाईकोर्ट?
जस्टिस स्वर्णाकांता शर्मा ने अपने आदेश में कहा, ‘कोर्ट को अब इस स्टेज पर लगता है कि अभियोजन पक्ष ने प्रथम दृष्टया PMLA के सेक्शन 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग केस में मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है. कोर्ट को लगता है किसी विशेष व्यक्ति के पास कैश मिलने की आवश्यकता को जरूरी नहीं करना चाहिए, जबकि आरोप साजिश से जुड़े हैं और मामले में और भी आरोपी हैं.’

आदेश में आगे कहा गया कि कोर्ट का ऐसा मानना है कि अगर कैश नहीं मिला तो उसे प्रथम दृष्टया इस बात का सबूत नहीं मानना चाहिए कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, जबकि अपराधी नई तकनीक से अपराध को अंजाम दे सकता है ताकि उसके खिलाफ कोई सबूत न रहे.

सीबीआई और ईडी ने आबकारी नीति से जुड़े मामले में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए हैं. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘यह मामला आवेदक द्वारा सत्ता का गंभीर दुरुपयोग और सार्वजनिक विश्वास का उल्लंघन किए जाने का है, जो दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे.’

अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा कि आबकारी विभाग सहित 18 विभागों वाले मंत्री के रूप में सिसोदिया को दिल्ली के लिए एक नयी शराब नीति तैयार करने का काम सौंपा गया था. कोर्च ने कहा कि हालांकि जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि प्रथम दृष्टया मनीष सिसोदिया ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप सार्वजनिक प्रतिक्रिया गढ़कर आबकारी नीति बनाने की प्रक्रिया में गड़बडी की.