(www.Arya Tv .Com) खुद के भीतर कुछ कर गुजरने का जज्बा और लगन हो तो लड़कियां भी लड़कों को काफी पीछे छोड़ सकती हैं. शिक्षा के साथ ही हर क्षेत्र में लड़कियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनावाया है. ऐसी ही प्रतिभी की धनी हैं आईटीएम (इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट) कॉलेज से इंजीनियरिंग कर रही अंकिता और आस्था.
जिन्होंने ‘लेजर सिक्योरिटी गन’ बनाई है. ये गन दाहिने और बाएं सेंसर की मदद से चारों ओर घूमकर दाहिने और बाएं सेंसर और वाई-फाई की मदद से दो किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकती है. इसके साथ ही ये गन एक साथ कई दुश्मनों को ढेर करने में भी सक्षम है. इस गन से वाई-फाई ट्रिगर की मदद से कई किलोमीटर दूर से 50 मीटर से 2 किलोमीटर की रेंज में सटीक निशाना लगाया जा सकता है. बैरक की सुरक्षा, बार्डर पर दुश्मनों और नक्सलियों से पर हमले में ये गन काफी कारगर है.
गोरखपुर के आईटीएम गीडा की छात्राओं ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर इस लेजर सिक्योरिटी गन के मॉडल का प्रदर्शन किया. कंप्यूटर साइंस सेकेण्ड ईयर की दो छात्राएं अंकिता और आस्था ने असिस्टेंट प्रोफेसर विनीत राय की देखरेख में (लेजर सिक्योरिटी गन) तैयार किया है. ये गन बॉर्डर पर घुसपैठ को रोकने में मदद करने में काफी कारगर है. छात्राओं ने बताया कि इस लेजर सिक्योरिटी गन सिस्टम का इस्तेमाल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी किया जा सकता हैं. आईटीएम गोरखपुर की छात्राओं ने कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर लेजर सिक्योरिटी गन सिस्टम का प्रदर्शन किया है.
अंकिता और आस्था ने बताया कि जो देश के बार्डर की सुरक्षा के साथ जंगलों में नक्सली हमलों से सीआरपीएफ जवानों के कैंप की सुरक्षा करेगा. अंकिता और आस्था ने बताया हमने अपने प्रोजेक्ट को (लेज़र सिक्योरिटी गन) का नाम दिया हैं. इस लेसर सिक्योरिटी गन में कुल पांच इलेक्ट्रॉनिक गन के बैरल लगे हैं. जो 330 डिग्री रोटेट कर चारों तरफ घूमकर अपने दुश्मन पर गोलियां दाग सकती हैं. इसमें लगे वाई-फाई कैमरा गन ट्रिगर की मदद से दुश्मन की नजर में आए बगैर उन पर निशाना साधा जा सकता हैं. वाईफाई ट्रिगर की मदद से जवान कई किलोमीटर दूर से फायरिंग कर सकते हैं.
इसके साथ ही इसमें एक लेजर सिक्योरिटी अलार्म भी हैं, जो गन से जुड़ा होता है. इस उपकरण को सीआरपीएफ के जवान अपने कैंप के चारों तरफ 50 मीटर के डिस्टेंस से लेकर 2 किलोमीटर तक के रेंज के अंदर लगा सकते हैं. इस लेजर सेंसर को प्रतिबंधित क्षेत्र या कैंम्प की सुरक्षा के लिहाज से बनाया गया है. इसके इस्तेमाल से हम दुश्मन के हमलों से समय रहते सतर्क हो सकते हैं और अपनी सुरक्षा कर सकते हैं. ये लेसर सेंसर 50 मीटर से 2 किलोमीटर लेफ्ट और दो किलोमीटर राइट तक का एरिया कवर कर सकता हैं.
प्रोजेक्ट को बनाने मे 20 दिनों का समय और 35 हजार रुपए खर्च आया हैं. इसे बनाने में वाई-फाई ट्रिगर, हाई रेंज लेजर सेंसर सिग्नल ट्रांसमीटर, रिसीवर, 24 वोल्ट गियर मोटर लगाया गया है. संस्थान के निदेशक एनके सिंह ने बताया कि उनके कॉलेज के इनोवेशन सेल में लगातार छात्र-छात्राएं नए प्रयोग करते रहते हैं. इनमें रिसर्च इनोवेशन के क्षेत्र में यहां छात्राएं आगे बढ़कर विज्ञान के क्षेत्र काम कर रहीं हैं. अंकिता और आस्था ने कड़ी मेहनत कर लेजर सिक्योरिटी गन का वर्किंग मॉडल बनाया है. इनके प्रोजेक्ट को आगे मार्गदर्शन के लिए DRDO को मेल किया जाएगा.