यमन के खिलाफ एक्शन लिया तो भुगतने पड़ेंगे गंभीर परिणाम, हूती ने इजरायल-अमेरिका को धमकाया

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(www.arya-tv.com) यमन के हूती विद्रोहियों ने अमेरिका और इजरायल को सीधी धमकी दी है। हूती समूह के अंसारुल्लाह पोलित ब्यूरो के मेंबर अली अल-काहौम ने शुक्रवार देर रात अल मयादीन टीवी को बताया कि यमन के खिलाफ किसी भी शत्रुतापूर्ण कदम के गंभीर परिणाम होंगे और बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

उन्होंने कहा कि किसी भी अमेरिकी, इजरायली या पश्चिमी खतरों की परवाह किए बिना, हूती फिलिस्तीन के मुद्दे को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने धमकी देते हुए कहा कि इजरायल के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। अल-काहौम ने कहा कि यमन अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानदंडों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन की रक्षा करने में चिंतित है।

हूती के हमलों से समुद्री व्यापार को खतरा

इससे पहले दिन में, अमेरिकी सेना ने कहा कि हूती विद्रोहियों ने बाब अल-मंडब जलडमरूमध्य में लाइबेरिया के ध्वज वाले दो जहाजों पर हमला किया। इन हमलों ने ईरान और यमन के नजदीक स्थित इंटरनेशनल शिपिंग लेन में जहाजों के खतरे को और ज्यादा बढ़ा दिया है।

ईरान के “प्रतिरोध की धुरी” का हिस्सा हूती विद्रोही लाला सागर से गुजरने वाले कार्गो और तेल टैंकरों को लगातार निशाना बना रहे हैं। इसके अलावा ये विद्रोही इजरायल पर ड्रोन और मिसाइलें दाग रहे हैं।

यमन के अधिकांश हिस्से पर शासन करने वाले हूती ने कहा है कि वे तब तक अपने हमले जारी रखेंगे जब तक इजरायल गाजा पट्टी में अपना आक्रमण बंद नहीं कर देता।

कौन हैं हूती विद्रोही

हूतियों का उदय 1980 के दशक में यमन में हुआ। ये जैदी शिया समूह के हैं जो शियाओं में भी अल्पसंख्यक समूह है। इन्होंने अपने संगठन का नाम हुसैन बद्रेददीन अल हूती के नाम पर रखा है, जिसने 2004 में सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था और उसी वर्ष सितंबर में यमनी सेना के साथ लड़ाई में मारा गया।

अब इसका नेतृत्व अब्दुल मलिक अल-हूती के पास है। हूती उत्तरी यमन में सुन्नी इस्लाम की सलाफी विचारधारा के विस्तार के विरोध में हैं। 2011 से पहले जब यमन में सुन्नी नेता अब्दुल्ला सालेह की सरकार थी,

तब शियाओं के दमन की कई घटनाएं सामने आईं। ऐसे में शियाओं में सुन्नी समुदाय के तानाशाह नेता के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा। यहीं से हूती विद्रोहियों का उदय हुआ।