घर आई दुल्हन को दहेज के लिए मारा गया था? आरोपियों के बरी होने के 3 दशक बाद HC ने रद्द किया फैसला, फिर होगी जांच

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(www.arya-tv.com)  दहेज हत्या से जुड़े करीब 3 दशक पुराने केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश किया है। अपने ससुराल में महिला की रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत के बाद ट्रायल कोर्ट ने पति सहित ससुराल के लोगों को बाइज्जत बरी कर दिया था।

अब हाई कोर्ट ने उस पुराने फैसले को रद्द करते हुए नए सिरे से जांच किए जाने का आदेश जारी किया है।इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरफ से यह आदेश मृतक महिला अनीता कुमारी के पिता खड़क सिंह की तरफ से दायर की गई आपराधिक पुनर्विचार याचिका के आधार के मद्देनजर दिया गया है।

सिंह ने आरोप लगाया कि बेटी अनीता को शादी के बाद दहेज के लिए परेशान किए जाने के बाद फिर ससुराल वालों ने मार डाला। इस केस में साल 1992 में हुई शादी के 2 साल के बाद एक मार्च 1994 को सिंह की तरफ से केस दर्ज कराया गया था। यह मामला 4 साल तक चला था।

इसके बाद मेरठ की ट्रायल कोर्ट ने 1998 में आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया था। अब 25 साल के बाद पिता की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के अडिशनल सेशन जज-4 को दोनों पक्षों को फिर से सुनकर और 3 महीने के अंदर उचित आदेश करने का निर्देश दिया है।

जस्टिस उमेश चंद्र शर्मा ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने साक्ष्य को गलत तरीके से पढ़ा और फिर उस आधार पर आरोपियों को बरी कर दिया। जांच में यह बात पुख्ता है कि आरोपियों के घर में हुई मृतका की मौत प्राकृतिक नहीं थी।

रेकॉर्ड में दर्ज सबूत के आधार पर अनीता की बॉडी में एल्कोहल और कीटनाशक पाए गए। मृतका के शरीर पर घाव के निशान भी मिले, जबकि वह एक स्वस्थ महिला थी और बीमारी की कोई मेडिकल हिस्ट्री नहीं थी।