(www.arya-tv.com) नेत्रदान को महादान माना जाता है। एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आंखों को किसी ऐसे व्यक्ति को दान करना जिसे दिखाई न देता हो या किसी कारणवश अपनी आंखें खो चुका हो, इस प्रक्रिया को ही नेत्रदान कहा जाता है। आंखों डोनेट करने वाले व्यक्ति का परिवार आई बैंक में बात करके आंखों को डोनेट कर सकते हैं। इसके लिए चिकित्सक आंखों का परीक्षण करते हैं जिसके बाद आई डोनेट की जाती है, ये प्रक्रिया पूरी तरह से सुविधाजनक है और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगता। आपको बता दें कि नेत्रदान में किसी तरह का राशि भुगतान नहीं किया जाता है। नेत्रदान समाज सेवा का हिस्सा माना जाता है।
मृत्यु के बाद आपकी आंखों से किसी को मिल सकता है नया जीवन
नेत्रदान के बारे में कहा जाता है कि ये इंसानों में दान किए जाने वाले अंगों में से सबसे ऊपर आता है। यानी अंगदान में ये सबसे ज्यादा की जाने वाली प्रक्रिया है। विश्वभर में दृष्टिहीन लोगों की जनसंख्या का एक चौथाई हिस्सा हमारे देश में है। दृष्टिहीन लोगों को आंखों की रौशनी हासिल करने के लिए कॉर्नियल ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है पर जानकारी के अभाव में लोग नेत्रदान नहीं करते और जरूरतमंद इंतजार में ही जिंदगी काट देते हैं। स्वास्थ्य के विषयों में रूचि रखने वाले लोगों को नेत्रदान से जुड़ी जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है।
परिवार वालों को जितना जल्दी हो सके नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करवानी चाहिए। आंखों को डोनेट के बाद जल्द से जल्द ट्रांसप्लांट कर दिया जाता है। अगर समय लगता है तो कॉर्निया को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है जहां से 7 दिनों के अंदर उसका इस्तेमाल कर लिया जाता है।
- नेत्रदान सरल और आसान प्रक्रिया है, इसमें महज 10 से 15 मिनट का समय लगता है।
- मृत्यु के बाद नेत्रदान करने के लिए डोनर के परिवार द्वारा आईबैंक में जाकर फॉर्म भरा जाता है।
- फॉर्म भरने के बाद पंजीकरण किया जाता है उसके बाद कार्ड भरा जाता है।
- ये पंजीकरण आप मृत्यु से पहले भी करवा सकते हैं ताकि मृत्यु के बाद आपकी आंखों को दान किया जा सके।
- डोनर के परिवार वालों के निकटतम आईबैंक में टीम को सूचित करना होता है इसके बाद टीम कॉर्निया निकालने की प्रक्रिया पूरी करते हैं।
- मृत्यु के बाद आंखों को निकालने से चेहरे पर कोई निशान नहीं बनता और न ही अंतिम संस्कार में किसी प्रकार की कोई देरी होती है।
नेत्रदान से जुड़े तथ्य
- कोई भी व्यक्ति आई डोनर तभी हो सकता है जब उसकी मृत्यु हो गई हो यानी नेत्रदान केवल मृत्यु के बाद ही किया जाता है।
- नेत्रदान के लिए उम्र की कोई सीमा तय नहीं होती, कोई भी व्यक्ति नेत्रदान कर सकता है।
- नेत्रदान करने वाले डोनर और जिस मरीज को आंखें दी जा रही हैं उन दोनों की जानकारी गुप्त रखी जाती है।
- जिन आंखों को दान किया गया है उनका इस्तेमाल दान करने के 4 घंटों के भीतर ही किया जाना चाहिए।
- अगर आंखों को दान करना है तो मृत्यु के 4 से 6 घंटों के अंदर ही दान किया जा सकता है।
- नेत्रदान के लिए पूरी आंख ट्रांसप्लांट नहीं की जाती बल्कि आंखों के काले हिस्सा यानी कॉर्निया और आंखों के सफेद हिस्से यानी स्क्लेरा को ही ट्रांसप्लांट किया जाता है।
- मृत्यु के बाद परिवार का कोई भी सदस्य नेत्रदान कर सकता है।