ज्ञानवापी से जुड़े पांच मामलों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई, 1991 के एक्ट पर भी पेश की जा सकती है दलील

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(www.arya-tv.com) उत्तर प्रदेश के वाराणसी में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है। ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर हाई कोर्ट में गुरुवार को एक साथ सुनवाई होगी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की बेंच में मामले की सुनवाई होनी है।

ज्ञानवापी विवाद से जुड़ी तीन याचिकाओं में केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई है। दरअसल, वर्ष 1991 में वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी परिसर को लेकर तीन याचिकाएं दायर की गई थीं। इसकी पोषणीयता पर याचिका के जरिए सवाल खड़े किए गए हैं। वहीं, दो याचिकाओं में ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे को चुनौती दी गई है।

दो दिनों के लिए टली थी सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ी पांच याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई 5 दिसंबर को होनी थी। उस दिन मुस्लिम पक्ष की ओर से सुनवाई को टालने का अनुरोध किया गया। हाई कोर्ट ने सुनवाई को दो दिनों के लिए टाल दिया।

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट से 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट की दलीलों के आधार पर निचली अदालत के फैसले को रद्द करने की अपील की है।

हिंदू पक्ष का है परिसर पर दावा

हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर पर अपना दावा किया जा रहा है। आदि विश्वेश्वर मंदिर से इसे जुड़ा बताया जा रहा है। ज्ञानवापी मसले पर वर्ष 1991 में याचिका दायर की गई। इसमें विवादित परिसर हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई। करीब 32 सालों से इस केस पर कभी- कभी सुनवाई होती रही है।

अब इस केस की पोषणीयता को चुनौती दी गई है। हाई कोर्ट को तय करना है कि वाराणसी कोर्ट इस केस को सुन सकती है या नहीं। साथ ही, इस मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू हो सकता है या नहीं, इस पर दलीलें दी जाएंगी।

एएसआई सर्वे की रिपोर्ट पर भी सवाल

मुस्लिम पक्षकारों की ओर से एएसआई सर्वे रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। एएसआई ने पिछले दिनों अपनी रिपोर्ट के लिए वाराणसी कोर्ट से अतिरिक्त समय हासिल किया है। कोर्ट में साइंटिफिक सर्वे की रिपोर्ट पेश की जानी है।

इससे पहले एएसआई सर्वे को चुनौती दी गई। मुस्लिम पक्ष ने 1936 के दीन मोहम्मद केस के फैसले को कोर्ट में पढ़ा। मंगलवार को इस बारे में सुनवाई की गई। अब हाई कोर्ट के स्तर पर सुनवाई कर आगे की कार्रवाई होगी।