मुख्तार के खिलाफ बिना ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के सुनवाई पूरी

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(www.arya-tv.com) पूर्वांचल का चर्चित अवधेश राय हत्याकांड में 5 जून को फैसला आ सकता है। अवधेश राय केस मुख्तार के खिलाफ यूपी का ऐसा पहला केस है, जिसमें ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के बिना पूरे केस की सुनवाई पूरी हो गई। ओरिजिनल डॉक्यूमेंट की कॉपी को आधार मानकर केस में गवाह, जिरह, साक्ष्य और बहस हुई। वकीलों के मुताबिक, स्टेट में ये पहला केस होगा, जो किसी कोर्ट में बिना ओरिजिनल फाइल के लड़ा गया है।

31 साल पुराना केस, HC केस शिफ्ट किया, डॉक्यूमेंट नहीं भेजे
31 साल पुराने केस में पहली सुनवाई से लेकर आखिरी जजमेंट का चश्मदीद वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय बनेगा। पूर्व विधायक मुख्तार के खिलाफ 1991 में दर्ज मुकदमे की सुनवाई पहले प्रयागराज और फिर 2020 से वाराणसी MP-MLA कोर्ट में चल रही है।

2020 में इस केस को हाईकोर्ट ने प्रयागराज से वाराणसी MP-MLA कोर्ट में ट्रांसफर किया। मगर, ओरिजिनल कॉपी नहीं भेजी। केस की पहली सुनवाई में फाइल तलब की गई, तो हाईकोर्ट ने उसे रोकने का आदेश दे दिया, जिसे ADJ कोर्ट में रोक दिया गया।

इसके खिलाफ फाइल प्रस्तुत करने के लिए अभियोजन ने सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल की। लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश जारी रहा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर डॉक्यूमेंट की कॉपी वाराणसी MP-MLA कोर्ट भेजी गई और तब से उस कॉपी को ही आधार बनाकर सुनवाई चलती रही।

प्रदेश में बिना ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के जजमेंट का पहला केस
मुख्तार अंसारी के वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने बताया कि उनके कई साल की वकालत में यह पहला केस है, जिसमें ओरिजिनल डॉक्यूमेंट पेश नहीं किए गए। यह भी नजीर बनेगा कि बिना ओरिजिनल कॉपी के केस का फैसला आ रहा है।

2020 से अब तक नियमित सुनवाई का आदेश आने के बावजूद डॉक्यूमेंट ADJ कोर्ट प्रयागराज से पेश नहीं किया गया। मुख्तार के खिलाफ इस केस के ट्रायल में 100 से अधिक सुनवाई में इसका मुद्दा उठाया, डॉक्यूमेंट की कॉपी ही कोर्ट में रखी गई।

पत्रावली मंगाने के लिए कई बार लिखा पत्र
वादी अजय राय के वकील अनुज यादव ने बताया कि ओरिजिनल डॉक्यूमेंट केस की सुनवाई के दौरान प्रयागराज में थी। ADJ कोर्ट प्रयागराज में सुनवाई के बाद जिलों में MP-MLA कोर्ट बनने पर केस ट्रांसफर किए गए, लेकिन फाइल वहीं रोक दी गई। ऐसे केस में ओरिजिनल फाइल लाने के कई प्रयास किए गए, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश और सुप्रीम कोर्ट में SLP के चलते ओरिजिनल डॉक्यूमेंट नहीं मिल सका। हाईकोर्ट के डायरेक्शन में ओरिजिनल डॉक्यूमेंट की कॉपी लाकर उससे ही केस लड़ा गया।

अंतिम तारीख में पेश की लिखित बहस
केस की सुनवाई के अंतिम दिन 22 मई को अभियोजन और बचाव पक्ष में जिरह एवं बहस हुई। मुख्य आरोपी मुख्तार अंसारी की तरफ से वकील श्रीनाथ त्रिपाठी ने 31 पन्नों में लिखित बहस दाखिल की। बचाव पक्ष के वकील ने केस में कई पेंचीदगी बताकर आरोपी को फंसाने की बात कही।

वहीं वादी पूर्व मंत्री अजय राय की तरफ से वकील अनुज यादव ने 36 पेज की विस्तृत बहस दाखिल करते हुए आरोपी पूर्व विधायक मुख़्तार अंसारी को दोषी करार दिए जाने की गुजारिश की गई। 31 साल पुराने इस मामले में अब फैसले की तारीख पांच जून तय होने के साथ ही अब यह चर्चा होने लगी है कि मुख्तार अंसारी समेत अन्य आरोपियों को क्या सजा मिलेगी।

पहले जानिए अवधेश राय हत्याकांड
वाराणसी के लहुराबीर क्षेत्र में तीन अगस्त 1991 को अवधेश राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अजय राय के अनुसार, हथियारबंद हमलावरों ने उनके भाई अवधेश राय को गोली मार दी, घायल को कबीर चौरा अस्पताल ले गए जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया।

घटना को लेकर मृतक के भाई पूर्व विधायक अजय राय ने मुख्तार अंसारी, पूर्व विधायक अब्दुल कलाम, राकेश न्यायिक समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बाद में इसकी जांच CBCID को सौंप दी गई थी। 31 साल पुराने इस मामले में अभियोजन तथा गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं। अभियोजन की ओर से भी बहस पूरी हो चुकी है। बचाव पक्ष की ओर बहस पूरी होने के बाद मुकदमा फैसले के करीब पहुंच गया है।