BHU में धरने पर बैठे शोधार्थी, कंट्रोलर ऑफिस पर रात्रिभोज

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(www.arya-tv.com) काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में PhD छात्र धरने पर बैठे हैं। कैंपस में सेंट्रल ऑफिस स्थित परीक्षा नियंत्रक कार्यालय के बाहर, छात्रों का धरना सोमवार दोपहर से ही जारी है। छात्र आज पूरी रात धरने पर बैठे रहे। कल रात उन्होंने ऑफिस के बाहर ही रात्रि भोज किया था। गेट पर ही पत्तल और ग्लास रखकर छात्र-छात्राओं ने भोजन लिया और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारे लगाए।

हंगामा क्यों है बरपा

धरनारत सभी शोध छात्र हिंदी विभाग से हैं। इन्होंने कहा कि उनकी प्रवेश परीक्षा निरस्त किए जाने की योजना चल रही है। यहां पर उसी का विरोध हो रहा है। छात्रों ने बताया कि हिंदी विभाग में जुलाई-2022 सत्र में PhD एडमिशन हुए थे। सेलेक्शन के बाद कुछ लोगों ने PhD की प्रवेश प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगा दिया। बाद में इसकी जांच के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी गठित की। रिपोर्ट तो सार्वजनिक नहीं की गई है, मगर इसमें कुछ शोध छात्रों के एडमिशन को निरस्त करने जैसा आदेश शामिल है। धरने में शामिल हिंदी विभाग के वैभव मीना ने कहा कि शोध छात्र जो जुलाई-2022 से विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में पंजीकृत हैं, उनका तो भविष्य अधर में लटक जाएगा। यदि उनका एडमिशन कैंसिल कर दिया गया, तो फिर वे कहां जाएंगे। एडमिशन के 7 महीने बाद ऐसी किसी रिपोर्ट का आना अन्यायपूर्ण है।

फैक्ट फाइंडिंग की रिपोर्ट हो सार्वजनिक

छात्रों ने कहा कि 7 महीने से क्या उनको अंधेरे में रखा गया। इतने समय बाद प्रवेश निरस्तीकरण करना सही फैसला नहीं होगा। छात्रों ने कहा कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। किसी भी तरह का संशोधन या प्रवेश निरस्तीकरण न किया जाए। हमारी यही दो मुख्य मांगे हैं।

7 महीने से चल रहा PhD एडमिशन का विरोध

दूसरी ओर, प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाकर हिंदी विभाग के कई छात्र पिछले 7 महीने से विरोध कर रहे हैं। जुलाई, 2022 में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित PhD एग्जाम में गड़बड़ी का आरोप लगा था। अगस्त तक चले धरने के बाद छात्रों की मांगों पर विचार किया गया। आरोपों की जांच के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बना दी गई। इसकी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। मगर, छात्रों ने गड़बड़ी की आशंका जताई है। छात्रों ने कहा कि सितंबर 2021, मार्च 2022 और जुलाई 2022 की PhD प्रवेश प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली हुई थी। इसमें AIC विभाग, सोशियोलॉजी, भूगोल और हिंदी विभाग शामिल है। छात्रों ने हिंदी विभाग के ही कई प्रोफेसरों पर धांधली के आरोप लगाए।