‘बायोरिमेडियल सिस्टम एक धोखा है’:गंगा प्रदूषण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

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(www.arya-tv.com)  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा प्रदूषण को लेकर सरकार के रवैये पर सख्त रुख अपनाया है। गंगा प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट ने कहा है कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट आंखों में धूल झोंकने वाला है। STP में क्षमता से दोगुना गंदा पानी जा रहा है। नाले आज भी सीधे गंगा में गिर रहे हैं।

हाईकोर्ट में यूपी सरकार ने दाखिल किया हलफनामा
गुरुवार को हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत किया गया। हलफनामा अस्पष्ट होने पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव पर्यावरण को तलब किया है। 2 फरवरी को अगली सुनवाई की तिथि पर हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूछा कि क्या हलफनामा का राज्य विधि अधिकारी से वेटिंग नहीं कराया गया है।

वाराणसी में रेत में बनी टेंट सिटी पर आपत्ति
वाराणसी में रेत पर बनी टेंट सिटी पर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में गंगा प्रदूषण को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर आपत्ति की गई। कहा गया कि सरकारी आदेश का यह खुला उल्लंघन किया जा रहा है। केंद्र सरकार के जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की 7अक्टूबर 2016 को जारी अधिसूचना का हवाला दिया गया, जिसमें गंगा किनारे स्थाई रिहायशी व व्यावसायिक निर्माण पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद वाराणसी में टेंट सिटी तैयार कर व्यवसाय किया जा रहा है। महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने कोर्ट को जानकारी दी कि

माघ मेले में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की अस्थाई व्यवस्था की गई है। गंगा में गिरने वाले नालों को टैप किया गया है। उनका शोधन बायोरिमेडियल सिस्टम से किया जा रहा है। सलोरी एसटीपी क्षमता के अनुसार शोधन कर रही है। परेड ग्राउंड व अलोपीबाग का सीवर राजापुर एसटीपी भेजा जा रहा है।

कोर्ट ने नाले की अखबार में छपी तस्वीर दिखाकर खोली पोल सरकार के इस पक्ष पर कोर्ट ने एक अखबार में छपी बक्शी नाले की तस्वीर महाधिवक्ता को दिखाई। कोर्ट ने कहा कि बायोरिमेडियल सिस्टम एक धोखा है। एसटीपी में क्षमता से अधिक गंदा पानी पहुंचने से शोधन आंख में धूल झोंकने के अलावा और कुछ नहीं है। न्यायमित्र अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि जितनी शोधन क्षमता उसकी दोगुना पानी एसटीपी में जा रहा है। अडानी ग्रुप आफ कंपनी व जल निगम के बीच क्षमता से अधिक पानी आने पर शोधन मानक का पालन न होने पर कार्रवाई से छूट दी गई है। एसटीपी का संचालन अडानी ग्रुप की कंपनी को दिया गया है। उन्होंने सीवर का कनेक्शन न किये जाने का मामला भी उठाया। केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिवक्ता बाल मुकुंद सिंह ने कहा कि शोधन में मानक का पालन नहीं किया जा रहा है। अब इस मामले की सुनवाई 2 फरवरी को होगी। चीफ जस्टिस राजेश बिंदल,जस्टिस ए के गुप्ता और जस्टिस अजित कुमार की पूर्णपीठ में इस मामले की सुनवाई चल रही है।