बिजली संकट की वजह कोयले की कमी है या पेमेंट न करने की सजा?

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(www.arya-tv.com)  भारत इस समय पिछले छह सालों के सबसे बड़े बिजली संकट से गुजर रहा है। देश के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री को पार कर गया है। रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की वजह से बढ़ती हुई बिजली की मांग और कोयले की कमी ने बिजली संकट की समस्या को और विकराल बना दिया है। देश के कई राज्य घंटों बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। आने वाले दिनों में ये संकट और गहरा सकता है, क्योंकि गर्मी बढ़ने से आने वाले दिनों में बिजली की मांग घटने के बजाय 8% और बढ़ सकती है।

आखिर क्या है बिजली संकट की वजह?

भारत करीब 200 गीगावॉट बिजली यानी करीब 70% बिजली का उत्पादन कोयले से चलने वाले प्लांट्स से करता है, लेकिन इस समय ज्यादातर प्लांट्स बढ़ती हुई बिजली की मांग और कोयले की कमी की वजह से कम बिजली सप्लाई कर पा रहे हैं।

  • देश के कोयले से चलने वाले बिजली प्लांट्स के पास पिछले 9 सालों में सबसे कम कोयले का भंडार बचा है। यानी बिजली की डिमांड ज्यादा है, लेकिन कोयले की कमी की वजह से प्लांट्स जरूरत के मुताबिक बिजली का उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं।
  • कोल इंडिया बिजली प्लांट्स के लिए रोजाना 16.4 लाख टन कोयले की सप्लाई कर रहा है, जबकि कोयले की मांग प्रतिदिन 22 लाख टन तक पहुंच गई है।
  • कोयले की खपत इस साल 8% बढ़ी है, लेकिन कोल इंडिया ने कोयले का उत्पादन नहीं बढ़ाया है। देश में कोयले का 80% उत्पादन कोल इंडिया ही करता है।
  • देश में पीक आवर में बिजली की डिमांड इस साल कोरोना महामारी की वजह से दो साल बाद बढ़ी है।
  • रॉयटर्स के मुताबिक, अप्रैल के पहले 27 दिनों में बिजली सप्लाई डिमांड से 1.88 अरब यूनिट यानी 1.6% कम रही। ये पिछले 6 वर्षों में किसी एक महीने में सबसे ज्यादा बिजली की कमी है।
  • देश में पिछले हफ्ते 62.3 करोड़ यूनिट बिजली की कमी हुई। यह पूरे मार्च महीने में हुई बिजली की कमी से भी ज्यादा है।
  • यही वजह है कि जम्मू-कश्मीर से लेकर आंध्र प्रदेश तक देश के लगभग हर हिस्से में 2-8 घंटे तक की बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है।
  • सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) के मुताबिक, देश के कोयले से चलने वाले 150 बिजली प्लांट्स में से 86 में कोयले का स्टॉक बेहद कम हो गया है। इन प्लांट्स के पास अपनी सामान्य जरूरतों का 25% स्टॉक ही बचा है।
  • इस समय देश भर में स्थित थर्मल बिजली प्लांट्स में 2.12 मिलियन टन कोयला उपलब्ध है, जोकि सामान्य स्तर 6.63 करोड़ टन से काफी कम है।
  • पिछले साल अक्टूबर में भी कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट पैदा हुआ था, लेकिन इस बार ये संकट गर्मियों के महीने में पड़ने की वजह से और ज्यादा गहरा है।
  • बिजली संकट की एक और वजह कोयले की ढुलाई न हो पाना है। दरअसल, कोयला कंपनियों से बिजली प्लांट्स तक कोयला पहुंचाने के लिए रेलवे के पास पर्याप्त कोच नहीं थे।
  • बिजली संकट गहराने पर बिजली प्लांट्स तक कोयला ले जाने वाली ट्रेनों को रास्ता देने के लिए रेलवे ने ट्रेनों के 670 फेरे रद्द कर दिए हैं।
  • रेलवे बिजली प्लांट्स तक कोयला पहुंचाने के लिए 415 कोच उपलब्ध करवा रहा है। हर मालगाड़ी से करीब 3500 टन कोयला ले जाया जा सकता है।
  • कोयला ढुलाई में कमी के आरोपों के बीच रेलवे का कहना है कि उसने वित्त वर्ष 2022 में कोयले के ट्रांसपोर्टेशन में 11.1 करोड़ टन की बढ़ोतरी करते हुए 65.3 करोड़ टन कोयला ढोया। साथ ही रेलवे ने अप्रैल के पहले दो हफ्ते में कोयला ढोने वाले कोचों की संख्या को 380 से बढ़ाकर 415 कर दिया है।

    गर्मी ने कैसे गहरा किया बिजली संकट?

    आमतौर पर मॉनसून में कोयले की कमी होना सामान्य बात है, क्योंकि बारिश की वजह से कोयला खनन प्रभावित होता है। इस बार हीट वेव बढ़ने से गर्मी में ही कोयले की कमी हो गई है, क्योंकि तेज गर्मी से भी खनन कम हो पाता है।

    इस साल अप्रैल में राजधानी दिल्ली में सबसे ज्यादा गर्मी का पिछले 72 सालों का रिकॉर्ड टूट गया है। 11 अप्रैल को ही दिल्ली में तापमान 42.6 डिग्री तक पहुंच गया था।

    बढ़ते हुए तापमान को बिजली संकट की प्रमुख वजह माना जा रहा है। अप्रैल में ही राजस्थान के चुरू का तापमान 50 डिग्री तक पहुंच गया है, जबकि आमतौर पर इस समय वहां इतना तापमान नहीं होता है।

    बढ़ते तापमान से बिजली की मांग बढ़ी है और ज्यादा बिजली पैदा करने के लिए कोयले की जरूरत भी बढ़ी है।

    एक और सबसे बड़ी समस्या है, कोल पावर प्लांट्स में गर्मी की वजह से पानी की कमी। यानी अगर बिजली प्लांट्स के पास पर्याप्त कोयला हो तो भी पानी की कमी की वजह से बिजली का उत्पादन कम ही हो पाएगा। इससे पहले 2015 में बिजली प्लांट्स ऐसे ही संकट से गुजर चुके हैं।

    आगे कितनी और बिजली कटौती होने की संभावना है?

    इस समय उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के लोग सबसे ज्यादा बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं।

    • बिजली की कमी का सामना कर रहे 12 राज्यों में से आंध्र प्रदेश की स्थिति सबसे खराब है। आंध्र ने इंडस्ट्रियल सप्लाई में 50% की कमी की है और डोमेस्टिक यूजर्स के लिए बड़े पैमाने पर बिजली कटौती की है।
    • गुजरात ने 500 मेगावॉट की कमी को पूरा करने के लिए इंडस्ट्री को हफ्ते में एक बार बंद रखने को कहा है। महाराष्ट्र पिछले 2-3 हफ्तों से औसतन 3,000 मेगावॉट से अधिक की कमी का सामना कर रहा है। इसके लिए उसने बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों को जिम्मेदार बताया है।