कोरोना से न घबराना अब इन सुझावों को अपनाएं

Lucknow UP

लखनऊ।(www.arya-tv.com) जिस प्रकार पूरे विश्व में कोरोना के संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही ऐसे में यह खबर आप के दिल को शांत करने वाली साबित हो सकती है। क्योंकि वर्तमान समय में कोरोना वायरस की दवा तो नहीं बनी है पर एक समाझान से आप इस संक्रमण से दूर जरूर रह सकते है जिस कोरोना के कहर से देश व दुनिया में हाहाकार है। जिसके संक्रमण ने सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को भी तहस-नहस कर डाला, वह वायरस आपकी सतर्कता, जागरूकता, सकारात्मकता व पौष्टिक खान-पान से मात खा सकता है। इसलिए आप यदि कोरोना से संक्रमित हो भी जाएं तो घबराने की जरूरत नहीं है।

राजधानी के रामसागर मिश्र अस्पताल (आरएसएम), लोहिया संस्थान व लोकबंधु अस्पताल में कोविड मरीजों की देखभाल कर उन्हेंं डिस्चार्ज करने वाले डॉक्टरों का दावा है कि पौष्टिक खान-पान व सकारात्मकता रखने वाले मरीजों के शरीर में तेजी से एंटीबॉडी बनने लगती है। अच्छी इम्यूनिटी वाले ज्यादातर मरीजों में यह एक हफ्ते में ही बन जाती है। यह एंटीबॉडी धीरे-धीरे वायरस के प्रभाव को खत्म करने लगती है। इसलिए ऐसा देखा जा रहा है कि ज्यादातर मरीज एक हफ्ते में ही डिस्चार्ज होकर घर पहुंच रहे हैंं। वहीं, सात से 14 दिनों में 80 फीसद से भी ज्यादा मरीज डिस्चार्ज हो रहे हैं।

लोहिया संस्थान के प्रवक्ता व अपर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि जिस दिन मरीज संक्रमित होता है। उसके करीब एक हफ्ते में अच्छी इम्यूनिटी वाले मरीजों में एंटीबॉडी बनने लगती है। सात से 10 दिनों में ज्यादातर मरीजों में एंटीबॉडी बन जाती है। वहीं, कुछ में 14 दिन तक में बनती है। इससे वायरस की मौजूदगी नगण्य होने लगती है और मरीज जल्द स्वस्थ हो जाते हैं।

लोहिया संस्थान से हाल ही में डिस्चार्ज हुई आरएसएम अस्पताल की एक महिला डॉक्टर व दो नर्सों का हवाला देते डॉ. श्रीकेश सिंह ने बताया कि ये तीनों रविवार को संस्थान में एडमिट हुए थे। हालांकि इनमें संक्रमण करीब एक हफ्ते पहले ही हो चुका था, लेकिन जांच बाद में होने से देरी से पॉजिटिव होने का पता चला। इसका मतलब है कि इनके पॉजिटिव होने का पता चलने से पहले एंटीबॉडी बनने लगी थी। इसीलिए रविवार को भर्ती हुए इन मरीजों की गुरुवार तक दोनों रिपोर्ट निगेटिव आ गई और उन्हेंं भर्ती होने के पांचवें दिन ही छुट्टी दे दी गई। हमारे यहां अब तक भर्ती 21 मरीजों में से 13 मरीज डिस्चार्ज हुए हैं। इनमें करीब आठ मरीज तो भर्ती होने के एक हफ्ते में ही डिस्चार्ज हो गए। जबकि कुछ को दो हफ्ते तक का समय लगा।

वहीं, आरएसएम अस्पताल में 59 मरीजों को डिस्चार्ज कर चुके डॉ. रोहित सिंह ने कहा कि हमारे यहां 59 में से 30-35 मरीज भर्ती होने के 10 दिन के अंदर डिस्चार्ज हुए। जबकि दो हफ्ते में 50 मरीज तक स्वस्थ हो गए। इसकी वजह सिर्फ प्रोटीन, विटामिन युक्त पौष्टिक आहार व बेहतर देखभाल करना रहा। उन्होंने कहा कि सिर्फ आठ से नौ मरीजों ने तीन हफ्ते व उससे अधिक समय लिया, जिन्हें किडनी, कैंसर, हृदयरोग, सांस रोग व शुगर-बीपी जैसी गंभीर बीमारियां हैं वह ठीक होने में ज्यादा समय लेते हैं। वहीं, लोकबंधु अस्पताल के डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि हमारे यहां करीब 110 मरीज भर्ती हुए इनमें करीब 50 मरीज भर्ती होने के एक हफ्ते में ही डिस्चार्ज हो गए। वहीं 20-25 मरीजों भर्ती होने के 10 से 14 दिनों में डिस्चार्ज हुए।

यह सफेद रक्त कोशिकाओं से निर्म‍ित होती है। इसे प्लाज्मा सेल भी कहा जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली के जरिए वायरस व बैक्टीरिया को पहचानने के साथ उसे बेअसर करने का काम भी करती है। इससे शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को जानने में भी मदद मिलती है।