सौंपी जांच रिपोर्ट; गैंगस्टर अंशु की बैरक के पास 2 माह से बंद थे CCTV

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(www.arya-tv.com)चित्रकूट जेल में गैंगवार के दौरान तीन बंदियों की मौत अचानक हुई वारदात नहीं है। इसकी पटकथा काफी पहले लिखी जा चुकी थी। इसकी पुष्टि खुद मामले की जांच करने वाले अफसरों की रिपोर्ट बता रही है। जिस हाई सिक्योरिटी सेल में अंशु दीक्षित और मेराज को रखा गया था, वहां के CCTV करीब दो महीने पहले ही बंद किए जा चुके थे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बनी जांच कमेटी के तीन अफसरों कमिश्नर चित्रकूट डीके सिंह, IG चित्रकूट के. सत्यनारायण और DIG कारागार मुख्यालय संजीव त्रिपाठी वारदात के करीब 10 घंटे बाद चित्रकूट जेल पहुंचे। अधिकारियों ने सबसे पहले उन पुलिस कर्मियों से पूछताछ की, जो गैंगवार के समय ड्यूटी पर तैनात थे। हालांकि, सुरक्षाकर्मियों ने पहले से रटे जवाब को दोहराकर किनारा कर लिया। इसके बाद टीम ने इस हाई सिक्योरिटी जेल के सुरक्षा तंत्र पर नजर दौड़ाई तो पूरी पिक्चर साफ नजर आने लगी। जेल की हाई सिक्योरिटी सेल के सभी कैमरे खराब मिले।

जांच रिपोर्ट के अहम 6 पॉइंट

  • 10 से अधिक शिकायत, फिर भी ठीक नहीं हुए CCTV: टीम की जांच में सामने आया कि जिस हाई सिक्योरिटी सेल में अंशु को रखा गया था वहां और उसके आसपास के सभी कैमरे बंद थे। पूछताछ में जिम्मेदारों ने बताया कि करीब दो महीने पहले सभी कैमरे एक साथ खराब हो गए। इनके मेंटीनेंस की जिम्मेदारी इसे लगाने वाली एजेंसी की है। एजेंसी को दर्जनों शिकायती पत्र भेजे गए लेकिन अभी तक कैमरों की मरम्मत नही की गई।
  • एजेंसी की लापरवाही थी तो क्यों नही हुई कार्रवाई: जांच रिपोर्ट से साफ है कि चप्पे-चप्पे पर कैमरों की नजर रखने का दावा करने वाला शासन जेल जैसी संवेदनशील जगह पर इतने समय तक कैमरे बंद नहीं रहने देगा। अगर ऐसा था भी तो सवाल उठता है कि इसे ठीक करने में लापरवाही बरतने वाली एजेंसी को ब्लैक लिस्ट या उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने जैसी कोई ठोस कार्रवाई आखिर क्यों नही की गई?
  • सेफ एरिया में दिया गया वारदात को अंजाम: जांच में सामने आया कि अंशु असलहा लेकर उस दायरे से बाहर नहीं गया, जिसे वारदात के लिए चुना गया था। सेल के भीतर ही उसके पास घातक 9MM की पिस्टल पहुंचाई गई। इससे उसने पहले अपने सेल के इनक्लोजर में मौजूद मेराज को गोली मारी। इसके बाद सेल के खुले दरवाजे को पार कर करीब 50 मीटर दूर किशोर जेल पहुंचा, जहां मुकीम उर्फ काला था।
  • मुकीम की हत्या करके वापस अपनी सेल में पहुंचा और कुछ बंदियों को गन पॉइंट पर लेकर जेल के सुरक्षाकर्मियों को ललकारने लगा। इस पर पुलिस ने घेराबंदी करके अंशु को गोली मारी। लेकिन पूरे घटनाक्रम की एक भी तस्वीर जेल के उन कैमरों में भी कैद नही हुई जो ठीक-ठाक काम कर रहे थे। दरअसल कैमरों को इस हिसाब से खराब किया गया था कि वारदात के लिए पर्याप्त दायरा तैयार हो सके।
  • न्यायिक जांच में अंशु की हत्या पर भी उठता सवाल: CCTV फुटेज एक तरफ जहां वारदात की तस्वीर साफ कर देता, वहीं पुलिस के जेल जाने के रास्ते भी खोलता। जेल के भीतर एक सीमित दायरे में बड़े से बड़े अपराधी को काबू करना पुलिस के लिए मुश्किल काम नहीं है। घटना के थोड़ी देर बाद ही करीब एक हजार की संख्या में फोर्स जेल पहुंच गई थी। जरूरत पड़ने पर STF, ATS जैसी एजेंसियों के माहिर अफसरों और जवानों की मदद ली जा सकती थी। लेकिन पुलिस ने ऐसा कोई कदम नही उठाया और अंशु को गोली मार दी। इसके पीछे पुलिस जो मजबूरी बता रही है घटना की न्यायिक जांच होने पर CCTV फुटेज इसकी सच्चाई खोल सकता था। उस हालत में एनकाउंटर में शामिल पुलिस वाले भी फंस सकते थे।
  • मुख्तार पर पल-पल नजर, फिर अंशु पर क्यों मेहरबानी: बस्ती जिला जेल में बंदियों के विद्रोह में हुई गोलीबारी में एक बंदी की मौत के बाद जेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर चौकन्ना हुआ। इसके बाद सभी जेलों को कैमरों के इंट्रीग्रेटेड कमांड सिस्टम से जोड़ा गया। इससे जेल मुख्यालय प्रदेश की सभी 72 जेलों में हो रही हल पल की गतिविधियों पर नजर रखता हैं। 7 मई को माफिया मुख्तार अंसारी को बांदा जेल लाया गया तो उनके हाई सिक्योरिटी सेल में अतिरिक्त कैमरे लगाए गए। इन कैमरों से मुख्तार की हर हरकत पर जेल मुख्यालय नजर रख रहा है। सवाल उठता है कि चित्रकूट जेल की जिस सेल में प्रदेश के हार्डकोर क्रिमिनल बंद थे उनके कैमरे में नजर न आने पर भी जेल मुख्यालय खामोश क्यों बैठा था?
  • बिना मोटिव दो हत्याओं को क्यों दिया अंजाम: अभी तक कि जांच में यह सामने नही आया कि अंशु का मेराज और मुकीम से कोई व्यक्तिगत विवाद था जिसके लिए वह इतना बड़ा रिस्क लेकर जेल में उनकी हत्या करता। जांच अफसरों का कहना है कि अंशु के ऐसा कदम उठाने के पीछे मोटिव क्या था। इसका पता नहीं चल पा रहा है। अफसरों का यह भी कहना है कि तीनों के बीच कोई खासी जान पहचान भी नहीं थी। जेल में भी उनके बीच किसी तरह का विवाद नहीं हुआ था।