चीन ने दिया इजरायली पीएम को यात्रा का न्योता, क्या नेतन्याहू मिलाएंगे पीएम मोदी के दुश्मन से हाथ

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(www.arya-tv.com) इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि उन्हें चीन की ओर से आधिकारिक यात्रा का न्योता मिला है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि उनकी यात्रा कब होगी। इजरायली पीएम ने यात्रा पर आए अमेरिकी सांसदों के साथ बैठक के दौरान यह घोषणा की।

चीन का यह न्योता ऐसे समय में आया है जब कम्युनिस्ट देश क्षेत्र में अपना कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाना चाहता है। साथ ही अमेरिका के बाइडन प्रशासन और नेतन्याहू के अति-राष्ट्रवादी सरकार के बीच तनाव अपने चरम पर है।

नेतन्याहू के कार्यालय का कहना है कि चीन की यह प्रस्तावित यात्रा बतौर प्रधानमंत्री उनकी चौथी यात्रा होगी। उसका कहना है कि उसने इस न्योते के संबंध में अमेरिका के बाइडन प्रशासन को पिछले महीने ही सूचित कर दिया था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यात्रा की संभावित तारीख के संबंध में टिप्पणी करने से मना कर दिया है। चीन ने हाल के महीनों में मध्य एशिया की कूटनीति में बेहद आक्रामक रूख अपनाया है।

उसने इजरायल के कट्टर दुश्मनों ईरान और सऊदी अरब के साथ संबंधों को फिर से बहाल करने के लिए अप्रैल में बात की। इसके अलावा इसी महीने की शुरुआत में फलस्तीन के राष्‍ट्रपति महमूद अब्बास की बीजिंग में मेजबानी भी की थी। इजरायल और चीन के बीच करीबी आर्थिक संबंध हैं लेकिन अमेरिका के साथ इजरायल के करीबी कूटनीतिक और सुरक्षा संबंधों के कारण चीन के साथ उसके संबंध मजबूत नहीं हो पा रहे हैं।

कुछ महीने पहले चीन के विदेश मंत्री किन गैंग ने कहा था कि चीन, इजरायली और फलस्‍तीन के बीच देश शांति वार्ता को सुविधाजनक बनाने में मदद करने के लिए तैयार है। गैंग ने यह बात इजरायली और फलस्तीनी के अपने समकक्षों के सामने कही थी। इससे पहले इजरायली और फलस्‍तीनी राजनयिकों के बीच अलग-अलग फोन कॉल में चीन ने खुद को क्षेत्र में मध्यस्थ के तौर पर स्थापित करने की बात कही थी।

विशेषज्ञों की मानें तो जिस तरह से रूस और चीन गठबंधन आगे बढ़ रहा है और मीडिल ईस्‍ट में चीन की भूमिका मजबूत होती जा रही है, उससे कहीं न कहीं भारत पर असर पड़ने की पूरी संभावना है। हालांकि हो सकता है कि भारत को आने वाले समय में इजरायल, अमेरिका और यूएई ग्रुप में कुछ तवज्‍जो मिल जाए।

नेतन्‍याहू इजरायल के पहले ऐसे पीएम हैं जिन्‍होंने इतने लंबे समय तक राज किया है। साल 2022 में उन्‍होंने अति-राष्‍ट्रवादी और रूढ़िवादी सहयोगियों के साथ गठबंधन किया और फिर से सत्‍ता में लौट आए। यह इजरायल के 75 साल के इतिहास में सबसे कट्टरपंथी और धार्मिक सरकार है। जनवरी में देश की न्यायपालिका में बड़ा बदलाव करने की कोशिशों शुरू हुई।

इन कोशिशों को तब शुरू किया गया जब नेतन्‍याहू पर पहले ही भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुकदमा चल रहा है, सरकार को साप्ताहिक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के साथ-साथ अमेरिका की आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। वेस्ट बैंक बस्तियों में नेतन्‍याहू सरकार की आक्रामकता की वजह से नेतन्याहू को अभी तक व्हाइट हाउस से आमंत्रण नहीं मिला है। जबकि पीएम बनने के बाद नेतन्‍याहू हर बार अमेरिका की यात्रा पर गए हैं।