गोरखपुर जिला अस्पताल में दलालों का बोलबाला:OT में घुसकर दलाल ने मांगी डॉक्टर से रंगदारी

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(www.arya-tv.com)   गोरखपुर की कोतवाली पुलिस ने जिला अस्पताल के एक दलाल को गिरफ्तार किया है। उसने पूछताछ में कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं। पुलिस की पड़ताल में पता चला है कि जिला अस्पताल दलालों का बोलबाला है। यहां कोई भी काम बगैर दलालों के नहीं होता। अफसरों से शिकायत करने पर वह भी दलालों के साथ ही खड़े नजर आते हैं। शायद इसी का नतीजा है कि बीते दिनों जिला अस्पताल के आर्थो सर्जन राजेश कुमार सिंह से एक दलाल ने गुडंई की सभी हदें पार कर दी।

दलाल आर्थो के ऑपरेशन ​थिएटर में घुसकर डॉक्टर की कुर्सी पर बैठ गया। डॉक्टर ने दलाल से यहां बैठने की वजह पूछी तो वह उनसे उलझ गया और मारपीट करते हुए टेबल पर रखा सरकारी पेपर तितर-बितर कर दिया। ऑपरेशन ​थिएटर में मौजूद अन्य सहयोगियों ने जब इसका विरोध किया वह वहां से चला गया। लेकिन, कुछ देर बाद वह अपने 10-12 साथियों संग दोबारा पहुंचा। फिर उसने डॉक्टर को धमकी देते हुए रंगदारी भी मांगी। न देने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी।

डॉक्टर ने दर्ज कराई थी FIR
इसके बाद डॉ. राजेश सिंह ने इसकी शिकायत अधिकारियों से करने के साथ ही कोतवाली पुलिस को दलाल प्रमोद सिंह के खिलाफ नामजद तहरीर दी। कोतवाली पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज कर सोमवार को आरोपी दलाल को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की छानबीन में पता चला कि वह मूल रुप से बस्ती जिले का रहने वाला है। साल 2019 में भी उसके खिलाफ कोतवाली थाने में सरकारी काम में बाधा डालने का मुकदमा दर्ज है। पूछताछ में आरोपी ने जिला अस्पताल में दलाली करने वाले कई लोगों का नाम बताया। पुलिस अब उनकी तलाश कर रही है।

पहले डॉक्टर का ड्राइवर था दलाल
SP सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया, बस्ती, मुंडेरवा के सोनखर गांव का रहने वाला महेंद्र प्रताप सिंह उर्फ प्रमोद अपना पता सबसे छिपाता था। जिला अस्पताल के लोगों को भी मालूम था कि वह बांसगांव क्षेत्र का रहने वाला है। मुकदमा दर्ज होने के बाद जांच करने पर पता चला कि वह बस्ती जिले का रहने वाला है। पहले वह जिला अस्पताल के एक डाक्टर की गाड़ी चलाता था। उनका तबादला होने के बाद रागियों को गुमराह कर दलाली करने लगा। आरोपी से पूछताछ में कई अन्य लोगों का नाम पता चला है, जिनकी तलाश चल रही है।

सभी का फिक्स है कमीशन, अफसर बंद किए रहते आंख
वहीं, जिला अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक, दलाली के ​इस खेल में दलालों के अलावा डॉक्टर और मेडिकल स्टोर संचालक भी शामिल हैं। मरीजों को गुमराह कर लाने पर इन सभी का फिक्स कमीशन होता है। गरीब मरीजों से वसूले गए पैसों में 40 फीसद कमीशन दलाल का तो 40 फीसद डॉक्टर का होता है।

जबकि, 20 फीसद कमीशन मेडिकल स्टोर संचालकों का होता है। ऐसा नहीं है कि दलाली के इस खेल की जानकारी CMO या SIC को नहीं है। लेकिन, सभी इसपर अपनी आंखें बंद किए रहते हैं। इसी का नतीजा है कि मरीजों को तो दलाल लूट ही रहें हैं और अब दलाल डॉक्टरों को भी नहीं छोड़ रहे।