लखनऊ। राजधानी लखनऊ के बीकेटी इंटर कॉलेज में बीकेटी थाना प्रभारी द्वारा प्रिंसिपल से की गई अभद्रता से आहत एक छात्र शुक्रवार को विफर पड़ा। रूंधे हुए गले से वह बोला ‘गुरुजी हम शर्मिंदा है, आपकी बेइज्जती पर भी इंकलाब नहीं ला पाए!’
ऐसा कहकर 10वी में पढ़ने वाले महज 17 साल के इस छात्र ने उन तमाम शिक्षक संगठनों के नेताओं के मुंह पर मानों तमाचा जड़ दिया है। जो कि समय समय पर जरा जरा सी बात पर अपने हित के लिए धरने पर बैठ जाते हैं। थाना प्रभारी द्वारा भरी सभा में प्रिंसिपल का अपमान कोई मामूली बात नहीं थी। बावजूद इसके कोई भी संगठन मैदान मेें नहीं कूदा, क्योंकि इसमें उनका कोई स्वार्थ सिद्ध नहीं हो रहा। जिस तरीके से अभद्रता करने के बाद महज आत्मग्लानि बताकर इंस्पेक्टर साहब ने गंगा नहा ली और साफ बच निकले, यह भी किसी भद्दे मजाक से कम नहीं है।
DIOS साहब! आपके राज में एक शिक्षक का सम्मान इतना सस्ता है क्या?
जरा सोचिए अगर यह मजाक किसी नेता या अधिकारी के साथ होता तो इंस्पेक्टर साहब पर एक्शन होता या नहीं? क्या उत्तर प्रदेश में योगी राज में शिक्षक का ऐसे ही सम्मान होगा।
यहां बात इंस्पेक्टर को फांसी पर लटकाने की नहीं हो रही, लेकिन कम से कम उनको अहसान दिलाना चाहिए था। उनको कुछ समय के लिए ही सही पर सस्पेंड तो करना ही था। दबाव में दरोगा साहेब ने आत्मग्लानि प्रकट कर दी और प्रिंसिपल ने भी उदारता दिखा दी। अब कर भी क्या सकते हैं उन्हीं के क्षेत्र में स्कूल चलाना है किसी भी मामले में लपेट सकते हैं।
पहले भी अनियंत्रित हो चुकी है इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा की भाषा!
छात्र हितों के लिए 9 जुलाई 1949 में बनाया गया अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आज विश्व का सबसे बड़ा संगठन है। यह महीना जुलाई का हैं अगस्त के बाद सितंबर आएगा और शिक्षक दिवस मनाया जाएगा। सभी छात्र इस दिन अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता अर्पित करते हैं। अब सवाल यह है कि 5 सितंबर को एबीवीपी के नेता क्या मुंह लेकर अपने गुरुजनों को दिखाएंगे। उनको अपमान पर एक मोमबत्ती मार्च तक नहीं निकाल पाए।
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बहरहाल कुछ भी हो, लेकिन स्वार्थ की इस राजनीति में एक शिक्षक के अपमान को महज ‘आत्मग्लानि’ शब्द से मैनेज कर लिया गया। न तो इस मामले में एसएसपी कलानिधि नैथानी ने प्रिय प्रभारी अमरनाथ वर्मा पर एक्शन लिया और न ही डीएम ने भी इस मामले को ज्यादा तवज्जो दी। डीआईओएस साहेब भी ‘आत्मग्लानि’ से खुश हो गए।
क्या था पूरा मामला
बीकेटी थाना प्रभारी अमरनाथ वर्मा वर्दी की हनक में बीकेटी इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने प्रिंसिपल पर एक बच्चे का एडमीशन लेने का दबाव बनाया। प्रिंसिपल ने यह कहते हुए मना कर दिया कि सीटे फुल हैं, फिर भी एक बार आप बच्चे को ले आइए हम देख लेंगे। इंस्पेक्टर अमरनाथ वर्मा को यह बात चुभ गई और वह आपा खो बैठे। कई अध्यापकों और छात्रों के बीच भरी सभा में उन्होंने प्रिंसिपल से अभद्रता की । और निपट लेने की बात कहकर चले गए। अगले दिन मामला मीडिया तक पहुंचा तो दबाव में इंस्पेक्टर साहब ने सबके सामने कहा कि उन्हें इस कार्य के लिए आत्मग्लानि हुई है। बस इतना मात्र कहने के बाद वह खुद को बरी कर लेते हैं। न तो उन पर कोई एक्शन लिया जाता है और न ही इस पर कोई बड़े अधिकारियों की प्रतिक्रिया आती है। बहरहाल इस घटना के बाद से लगातार पुलिस महकमें की किरकिरी हो रही है।